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________________ देशी शब्दकोश समर - गीध पक्षी (दे ८१३) । समइंछिय - अतिक्रांत ( से १२१७२ ) । समइच्छमाण - अतिक्रांत करते हुए (भ २०६ ) । समइच्छिम - अतिक्रांत (दे ८२० ) | समगुहिक - भोज्य पदार्थ - 'समगुहिक त्ति वा बूया जागु त्ति कसरि त्ति वा ' (अंवि पृ ७१) । समर – १ लोहार की शाला । २ स्त्रियों के साथ सम्पर्क संबंध स्थापित करने का गुप्त स्थान - 'समरं नाम जत्थ हेट्ठा लोहयारा कम्मं करेंति । अहवा समरं नाम दिट्ठादिट्ठी संबंधो तासि (उच् पृ ३७) । ३ खरकुटी, नाई की दुकान ( उसुटी प १० ) । समरसद्दय --- समवयस्क (दे ८२२) । समसीस – १ सदृश । २ निर्भर (दे ८५० ) । ३ स्पर्धा ( से ३८ ) । समसीसी - स्पर्धा (दे ८११३) | समहुत्त - अभिमुख - 'केई पुरिसे परसुं गहाय अडवीसमहुत्तो गच्छेज्जा' (अनुद्वाहाटी पृ ४१) । ४०७ समाय - उत्सव - ' उस्सयं वा समायं वा' (अंवि पृ १३४ ) | समायोग - सैनिकवर्दी - परिहिज्जेति समायोगे' ( कु पृ १६८ ) । समास - उत्सव - 'उस्सयो त्ति समासोत्ति विहि जण्णो छणोति वा' - (अंवि पृ १२१) । समिला - युग कीलक, गाड़ी की धोंसरी में दोनों ओर डाला जाता लकड़ी का कीलक ( उ २७१४) । 5 समीखल्लय — छोंकर की पत्ती, शमी वृक्ष का पत्र पुट (दश्रुचू पृ ८ ) । समीजसुक्खर - शमी वृक्ष की शाखा (आवहाटी २ पृ १६ ) । समुह - १ अभ्यास - समुई ति देशीवचनत्वाद् अभ्यासम्' (बूटी पृ ४१४) । २ स्वभाव (व्यभा ७ टीप २१) । समुग्गिअ - १ प्रतीक्षित (दे ८।१३) । २ प्रतिपालित ( वृ ) । समुच्छणी-संमार्जनी, झाड़ ू (दे ८।१७) | समुच्छिअ - १ तोषित, संतुष्ट किया हुआ । २ समारचित। ३ अंजलिकरण (दे ८१४९) । समुत्तइत - गर्वित ( निचू २ पृ १०० ) । समुत्तइय - गर्वित - ओच्छाहिओ परेण व लद्धिपसंसाहि वा समुत्तइओ । अवमाणिओ परेण य, जो एसइ माणपिंडो सो ॥ (पिनि ४६५) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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