SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 430
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ देशी शब्दकोश ३६१ वइरोअण-बुद्ध, बुद्धदेव (दे ७५१) । वइरोड-जार, उपपति (दे ७१४२)। वइल्ल-बैल (व्यभा १० टी प ६३) । वइवलय-दुंदुभ सर्प (दे ७५१) । वइवेला--सीमा (दे ७।३१)। वउ-लावण्य, शरीर-कान्ति (दे ७।३०)। वउणी-कपास (दे ३१५७) । वउलिअ-शूला में पिरोया हुआ मांस-खंड (दे ७।४४) । वओवउप्फ-विषुवत्, समान रात और दिन वाला काल (दे ७।५०) । वओवत्थ-विषुवत्, समान रात और दिन वाला काल (दे ७.५०)। वंक-कलंक, दाग (दे ७।३०)। वंग-वृन्ताक, भंटा (दे ७२६) । वंगच्छ-प्रमथ, शिव के अनुचर-विशेष (दे ७।३९) । वंगेवडु-सूअर (दे ७।४२) । वंजण-भोजन (दअचू पृ १६०) । देखें-संदेण । वंजर-नीवी, कटि-वस्त्र (दे ७१४१) । वंटग-विभाग-वडो वंटगो विभागो वा एगट्ठ' (निचू ४ पृ २४४)। वंठ-१ कपट-वेश, ठग (आवचू १ पृ ३१) । २ जो अविवाहित है और मजदूरी से अपनी आजीविका चलाता है वह-'अकयविवाही भीतिजीविणो य वैठिति' (ओटी पृ १६६) । ३ अविवाहिता (ओनि २१६; दे ७८३)। ४ निःस्लेह, स्नेहहीन । ५ गण्ड, गाल ६ खंड। ७ भृत्य, दास (दे ७८३) । वंड-पीडित (ति ६७४) । वंडुअ-राज्य (दे ७।३६) । वंडुर-घुड़साल, अस्तबल-ततो वासुदेवस्स आसरयणं गहाय पधावितो, सो _ वंडुरापालएण णाओ' (आवहाटी १ पृ ६५)। . वंढ-बन्ध (दे ७२६)। वंदालग-पूजापात्र (सू १।४।४४)। वंफ-उल्लाप-'वंफेति णाम देसीभासाए उल्लावो वुच्चति' (सूचू १ पृ १८०)। वंफिअ-१ भुक्त, खाया हुआ (दे ७।३५) । २ अभिलषित । वंस–कलंक (दे ७३०)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy