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________________ देशी शब्दकोश लिंब--१ कोमल, मृदु-'णवतयकुसंतलिंब-केसरपच्चत्थुयाभिरामे' (राज ३७) । २ बाल उरभ्र का रोओं सहित चर्म-'बालोरभ्रस्योर्णा युक्ता कृत्तिः' (ज्ञाटी प १७) । ३ आस्तरण-विशेष (ज्ञा १।१।१८) । लिक्ख-१ कोमल (राज ३७) । २ लघु स्रोत (दे ७२१ वृ)। लिक्खा -१ परिमाण-विशेष (अनुद्वा ३६५) । २ छोटा स्रोत (दे ७।२१)। लिच्च-कोमल (जीव ३।३११)।। लिच्छारिय-लिप्त (आवभा २२१)। लिट्रिअ-१ खुशामद,चाटुकारिता (दे ७२२) । २ लम्पट । लित्त-कोमल (जीवटी प २१०)। लित्ति---खड्ग आदि शस्त्रों का दोष (दे ७।२२)। लित्यारिय- खरंटित, लिप्त (बृभा ५१५) । लिव्व-कोमल (ज्ञा १०१।१८ पा)। लिसय-तनूकृत, क्षीण (दे ७।२२) । लिहिअ- १ तनु । २ सुप्त (दे ७।२८) । लीच्छभ- तुषशाला, कुंभकार जहां जौ, गेहूं आदि का पलाल एकत्रित करता है-'लीच्छुभ त्ति तुससाला कुंभकारा जत्थ तुसा ठबेति' (माचू पृ ३६६)। लीय-बच्चा (कु पृ ४५) । लील-यज्ञ (दे ७२३)। लीव-बालक (दे ७।२२) । लीसना--सन्धान, जोड़-'लीसना नाम सन्धनैव' (सूचू १ पृ १५६) । लुअ-छिन्न, काटा हुआ (दे ७.२३) । लुंक-सुप्त (दे ७.२३) । लुंकडी-लोमड़ी (प्रज्ञाटी प २५४) । लुंकणिया-तिरोभाव (दे ७।२४ वृ)। लुंकणी-लुकना, छिपना (दे ७।२४) । लुंख-नियम (दे ७।२३)। लखाअ-निर्णय-रे अलस! इत्थ लीलो होहि त्ति सलुंखयाण लुंखाओ' (दे ७२३)। लुखिय-१ मलिन (से १५५४२) । २ स्पृष्ट (से १।२१) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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