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________________ देशी शब्दकोश २७६ पसवडक्क--विलोकन, देखना (दे ६।३०)। पसाइया-पत्तों की बनी हुई एक प्रकार की पगडी जिसे भील सिर पर पहनते हैं (दे ६०२)। पसाणग-उपकरण-विशेष (अंवि पृ १९३)। पसिडि - सोना, स्वर्ण (पा ८०) । पसिय-सुपारी (भ २२।२ पा; दे ६।६) । पसिव्विका-थैली का एक प्रकार (अंवि पृ १७८) । पसुत्ति-एक प्रकार का कुष्ठरोग (निचू ३ पृ ३६२) । पसुहत्त--वृक्ष (दे ६।२९)। पसूअ-कुसुम, पुष्प (दे ६।६)। पसूइ-धान्य-विशेष-'सालि पसूई व गद्दभिया य छिन्ना' (आवहाटी १ पृ २६०)। पसेवअ-ब्रह्मा (दे ६।२२)। पसेव्वक-थैला (अंवि पृ २२१) । पस्सिण्ण--पसीने से गीला-तिलगो से खमगललाई पस्तिण्णं संकंतो' (दअचू पृ २५)। पहएल्ल-अपूप, पूआ (दे ६।१८) । पहकर-समूह-'पहकरो ति देशीशब्दोऽयं समूहवाची' (जंबूटी प १४५) । पहगर-जलजंतु-विशेष-'जलचर-पहगर-परिहत्थग-मच्छपरिभुज्जमाणजल संचय' (दश्रु ८।३०)। पहट्ट-१ दृप्त, उन्मत्त (तंदु पृ ४५; दे ६६) । २ अचिरतर दृष्ट । पहण-कुल (दे ६।५)। पहणि-सामने आए हुए का निरोध, रुकावट (दे ६१५)। पहद-सदा दृष्ट, सदा देखा हुआ (दे ६।१०)। पहम्म-१ देवताओं द्वारा खोदा हुआ (दे ६।११) । २ खात जल-कुण्ड । ३ विवर, छिद्र-'मणिपहम्म'-'मणिमयं विवरं यद्वा मणीनां प्रथमः ___ खात इति देशी' (से ६।४३)। पहयर-समूह, निकर (दे ६।१५)। पहिअ-मथित, विलोडित (दे ६।६)। पहेण ---१ विवाह के समय वधू के पीहर (पितृगृह) में किया जाने वाला भोज । २ अन्य घरों में ले जाई जाने वाली भोजन-सामग्री। ३ जो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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