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________________ २४७ देशी शब्दकोश दिअहुत्त-पूर्वाह्न का भोजन (दे ५४०)। दिआहम-भासपक्षी (दे ५।३६)। दिक्करअ-बच्चा (आवमटी प १३६) । दिक्करिका-दुहिता, पुत्री (आवहाटी १ पृ २६७) । दीकरी (गुजराती)। दिक्करुय-पतली डोरी (व्यभा २ टी प ४४)। दिगिछा---क्षुधा, बुभुक्षा-'दिगिछत्ति देशीवचनेन बुभुक्षोच्यते' (उशाटी प८२)। दिट्टिल्लिय-देखा हुआ (उसुटी प ६५)। दिण्णेल्लिय-दिया (आवहाटी १ पृ २८६)। दिप्पंत-अनर्थ (दे ॥३६)। दिय-दिवस (बृभा २७६७; दे ५।३९)। दियल-शाखा-'दियलम्मि ओलइया' (व्यभा १० टी प ८०)। दिल्ल-तिर्यञ्च जाति-विशेष (अंवि पृ २३८) । दिलिवेढय-ग्राह-विशेष. जलजन्तु की एक जाति (प्र ११५) । दिल्लिदिलिअ-शिशु, बालक (दे ५।४०)। दिल्लिदिलिआ-बालिका (पा ६६) । दिव्वासा–चामुण्डा देवी (दे ५॥३६)। वीणार-- सोने का सिक्का (आवचू १ पृ ४४६) । दोणारमालिआ–गले का आभूषण-विशेष-'दीनाराद्याकृतिमणिकमाला' (जंबूटी प १०५)। दोणारमासक-स्वर्ण-सिक्का (अंवि पृ ६६) । दोणारी-सोने का सिक्का (वि पृ ७२) । दीपकाण-काणा, एक आंख वाला-'काणा दीपकाणा फरला इत्यर्थः (प्रटी प २५)। दीवअ-कृकलास, गिरगिट (दे ॥४१) । दीवालिका-दीपावली के अवसर पर बनाया जाने वाला खाद्य-विशेष (अंवि पृ १८२)। दीविआ--१ उपदेहिका, उदई (जीभा ५३८; दे ५॥५३)। २ शाकुनिक पक्षीघातक व्यक्ति द्वारा अन्य पक्षियों को आकृष्ट करने के लिए पिंजरे में रखा गया तीतर पक्षी (ज्ञाटी प २४०)। ३ व्याध की हरिणी जो दूसरे हरिणों को आकृष्ट करने के लिए रखी जाती है (दे ॥५३)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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