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________________ २४२ थोह - बल (दे ५।३०) । थोहर - थूहर का पेड़ ( विपाटी प ८० ) । थोहरी - थूहर का वृक्ष ( प्रसा २३७ ) | इअ -- रक्षित ( दे ५।३५) । दंडसंपुच्छणी - बुहारने का साधन - विशेष ( राज १२ ) । दंडि - सांधा हुआ जीर्ण वस्त्र ( निभा ७८२) । दंडिणी - राज - पत्नी (पिनि ५०० ) । दंडिया- - पत्र पर लगाई जाने वाली राजमुद्रा ( बृभा १६५ ) । देशी शब्दकोश दंडी - १ सांधा हुआ जीर्ण वस्त्र - 'दंडीखंड निवसणा', कृतसंधानं जीर्णवस्त्रम्' ( ज्ञा १।१६।२६ टीप २०७ ) । २ स्वर्ण - सूत्र ( दे ५।३३ ) । ३ सांधा हुआ वस्त्रयुगल (वृ ) । दंत - पर्वत का एक भाग (दे ५।३३) । दंतवण - दन्तकाष्ठ, दतौन - 'दन्तमलापकर्षणकाष्ठम्' (उपाटी पृ १६ ) । दंताल - दांती, घास काटने का उपकरण विशेष ( निघू १ पृ ३१) । दंताली ( राजस्थानी ) । खरगोश (दे ५।३४) । दंतिअ -- शशक, दंतिअय - खरगोश (दे ५।३४ वृ) । दंतिक्क – १ तन्दुल, चावल । २ चावल का आटा ( बुभा ३०६४) । ३ दांतों से चबाकर खाये जाने वाले पदार्थ ( निचू ४ पृ १११) । दंतिक्कय - मांस से मिश्रित खाद्य पदार्थ ( पंव ME ) । दंभन- - सूची की भांति तीक्ष्ण शस्त्र - विशेष ( विपा १।६।२६ पा) । दंसणीय - उपहार भेंट - "गहियं दंसणीयं । दिट्ठो राया' (कु पृ ६७) । दक्खज्ज - गीध पक्षी ( दे ५१३४ ) । दगंगुलिगा - छाल - 'द गंगुलिगा पुण वक्को भण्णति' ( निचू १ पृ ७१ ) । दगमा लग – स्फटिकमय प्रासाद (जंबूटी प ४४) । दगर - रोग - विशेष ( जीवटी प १५३) । वगवीणिया - जलप्रवाह, पानी की नाली ( नि १ । १२ ) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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