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________________ १८८ देशी शब्दकोश छणक-१ झाग, फेन । २ कल्लोल (अंवि पृ २५५) । छेत्तर-पुराना छाज आदि गृह-उपकरण (दे ३।३२) । छत्तसोवणय--खेत में जागना (दे ३।३२) । छेध-स्थासक-कंकुम, चंदन आदि सुगंधित द्रव्यों से दिए गए हाथ के पांचों अंगुलियों के छापे, हस्तबिंब । २ स्थासक-चंदन आदि सुगंधित द्रव्य से शरीर का विलेपन करना । ३ चोर (दे ३।३६) । छप्प-पूंछ (विपा १।२।२४) । छेभअ-हथेली का थापा, हस्तबिम्ब (दे ३।३२) । छरित्ता--लीद करके-'गद्दभी..."छरिता गया' (उसुटी प ७३) । छल-बकरा (उसुटी प ५४; दे ३।३२ वृ)।। छेलअ---बकरा (दे ३।३२)। छेलण-हर्ष ध्वनि, आनन्द की आवाज-'छेलणं णाम उक्कट्ठी हसितादि' _ (आवचू १ पृ १५७) । छेलापनक-- बालक्रीडा, उत्कृष्ट हर्षध्वनि, सीत्कार करना आदि-'छेलापनक मिति देशीवचनमुत्कृष्टबाल-क्रीडापनं सेण्टिताद्यर्थवाचकमिति' (आवहाटी १ पृ८६) । छलावण-१ उत्कृष्ट हर्षध्वनि । २ बाल-क्रीडापन । ३ सीत्कार करना __ 'छेलावणमुक्किट्ठाइ बालकीलावणं च सेंटाइ' (आवमटी प २०१)। छेलावणय-हर्ष-ध्वनि, हसना आदि-'छेलणं णाम उक्कट्ठीहसितादि'. (आवचू १ पृ १५७) । छलित-सेंटिका करता हुआ (अंवि पृ ४६) । छेलिका-बकरी (प्रटी प १५) । छलिय–सेंटित, सीत्कार करना, अव्यक्त ध्वनि-विशेष (प्र ३।५) । छलिया-बकरी (उसुटी प २४१)। छल्लिय-नाक से छींकने का शब्द (दजिचू पृ २३६) । छली-थोड़े फूल वाली माला (दे ३।३१) । छेवग-महामारी (व्यभा ५ टी प १८) । छेवट्ट-संहनन का एक प्रकार, अस्थि-रचना-विशेष (जीव १।१७) । छेवट्ठ-संहनन का एक प्रकार, अस्थि-रचना-विशेष (स्था ६।३०) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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