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________________ १६८ देशी शब्दकोश चमढेत्ता-तिरस्कार कर-'चमढेत्ता गओ-तिरस्कृत्य गतः' (आवहाटी १ पृ१३६)। चम्मडिल-पक्षी-विशेष (अंवि पृ २२६) । चम्मरुक्ख-पुरुष-'दवावेसु इमस्स चम्मरुक्खस्स दीणाराणं अद्धलक्खं' (कु पृ ३२)। चम्मिरा-मत्स्य-विशेष (अंवि पृ २२८) । चम्मिराज--मत्स्य-विशेष (अंवि पृ २२८) । चम्मेद-व्यायाम में काम आने वाला उपकरण मुद्गर आदि (भटी पृ १४१३)। चरक्खा-पशु-विशेष (दश्रु ७५२४) । चरु-१ नाम, आख्या (निचू ३ पृ २२५) । २ मंत्रित खाद्य-विशेष-'मा मम पुत्तोवि एवं नासउत्ति तीए खत्तियचरू जिमिओ' (आवहाटी १ पृ २६१)। ३ चरु-पात्र में तैयार किया गया चावल आदि द्रव्य जो बलि के काम आता है (निरटी पृ ३२)। चरुग-१ नाम, आख्या (निभा ३४६०)-दाणरुई सड्ढो वा णिवेयण चरुववदेसं कातुं साधूण देति' (चू ३ पृ २२५) । २ मंत्रित खाद्यविशेष-'अहं ते चरुगं साहेमि जेणं ते पुत्तो बंभणस्स पहाणो होहिति' (आवहाटी १ पृ २६१) । चरल्लेव-नाम, आख्या (दे ३।६)। चरेडिया-छेना (नंदीटि पृ १८२)। चलणि-पैर तक लगने वाले कीचड़ का स्थान-पंकबहुला पणगबहुला . चलणिबहुला' (भ ७।११८) । चलणिया-उपकरण-विशेष (पंव ७८२)। चलणी-पैरों का स्पर्श करने वाला कीचड़-'चलनी चरणमात्रस्पर्शी कर्दमः' (जीवटी प २६२)। चलिका-फल-विशेष (अंवि पृ ७०)। चल्ल-चरण (अंवि पृ ६०)। चवग-भट्टी-'महल्ले चवगे चुल्लीसु य दहंति' (सूचू १ पृ १२५) । चवचव-चबाते समय होने वाली 'चव-चव' की आवाज (भ ७।२५) । चवलग-धान्य-विशेष (दअचू पृ १४०)। चवलय-धान्य-विशेष (दश्रुचू प ३८)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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