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________________ १४६ देशी शब्दकोश गतिल्लिय-गया (उचू पृ ६९)। गतेल्लत—गया (आवमटी प २६६) । गत्त-१ ईषा, चारपाई की लकड़ी-विशेष-'जंबूणयमयाई गत्ताई' (राज ३७) । २ अवयव (भटी पृ १३८६) । ३ हलदंड । ४ कीचड़ (दे २१६६) । ५ गया हुआ। गत्ताडी-१ गवादनी-गायों के खाने के लिए घास, भूसा आदि रखने का बड़ा बर्तन या गोचर-भूमी (दे २।८२) । २ गायिका (वृ)। गद्द-पक्षी-विशेष-गद्दो कुरलो""भासा वीरल्लससघाती' (अंवि पृ २३६) । गद्दत्तण-लज्जा (बृभा २३३८)। गद्दब्भ-कटु-ध्वनि (दे २।८२) । गहमा-गोत्र-विशेष (अंवि पृ १५०) गभग-कुमुद, चन्द्रविकासी कमल-'कुमुदं गद्दभगं' (दअचू पृ १२८)। गद्दभिया-धान्य-विशेष (आवहाटी १ पृ २६०) । गहह-कुमुद, चन्द्रविकासी कमल (दे २१८३) । गद्दिअ-गर्वयुक्त (दे २।८३) । गद्दिका-गादी, बिछौना (बृटी पृ १०५५) । गहियाणग—एक प्रकार का सिक्का-'लग्गो वाडकम्मे, निप्फत्तीए विढत्ता दस गद्दियाणगा' (उसुटी प २५१) । गप्पडिय-बकवास करने वाला, गप्पें करने वाला (कु पृ ४४) । गभिज्ज-नौका में काम करनेवाला, खलासी-'कण्णधार-कुच्छिधार गब्भिज्ज-संजत्ता-नावावाणियगा' (ज्ञा ११८६६) । गब्भेल्लग-जहाज में काम करने वाला-'कुच्छिधारा य कण्णधारा य गब्भे ल्लगा य' (ज्ञा १।१७।६)। गम्मी-विकल्प, भंग (अंवि पृ ६) । गय--१ नींद से पूणित । २ भ्रमण किया हुआ । ३ मृत (दे २१६६) । गयणरइ-मेघ, बादल (दे २।८८)। गयमारिणी-गुच्छ वनस्पति-विशेष (प्रज्ञा ११३७१५)। गयसाउल-विरक्त (दे २।८७) । गयसाउल्ल-विरक्त (दे २१८७ वृ)। गय्याल-जिद्दी (दअचू पृ २१७) । गय्याल- मूर्ख (कन्नड़)। गरलक-मुकुट का एक प्रकार (अंवि पृ ६४) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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