SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 197
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२८ देशी शब्दकोश कोसय-लघु शराव (दे २।४७) । कोसल--नीवी (दे २।३८)। कोसलिअ-भेंट, उपहार (दे २।१२) । कोसलिआ-भेंट (दे २।१२ वृ)। कोसल्ल-उपहार, भेंट-'तं पुरजणकोसल्लं, नरवइणा अप्पियं कुमारस्स' (उसुटी प ८६) । कोसल्लिअ-भेंट, उपहार (दे २।१२ वृ)। कोसेज्जा-टसर, सूती वस्त्र-कोसेज्जा वडओ भण्णति' (निचू २ पृ६८; दे २।३३)। कोहलिआ कुष्मांडी, कोहंडा का गाछ (पा ३७२) । कोहल्ली-तापिका, तवा (दे २१४६) । कोहिल्ल-क्रोधी (ओटी पृ २१६) । खइय-स्वभाव (स्थाटी प २६२)। खइव स्वभाव-खइव त्ति संवेगशून्यधर्मकथनलक्षणो हेवाक: स्वभावो यस्यां सा तथा' (स्थाटी प २६२) । खउर–१ तापसों का पात्र-विशेष (बृभा ३४५) । २ खैर आदि का गोंद (निचू ४ पृ ६७)। ३ नीच-असूयपुत्ता ! खउरपुत्ता ! सुट्ठ अक्कोसामि' (आवहाटी १ पृ १४१)। ४ कलुषित-'दरदट्ठविवण्ण विदुमरअक्खउरा' (से ५।४७) । ५ व्याप्त (से ६।११)। खउरकढिणय-तापसों का उपकरण-विशेष, जो बांस, शुम्ब आदि द्रव्यों को अत्यंत कूट-पीसकर कमठ के आकार का बनाया जाता है। उसको बिल्व और भिलावे के रस से लिप्त कर देने पर उसमें से पानी भी परिस्रवित नहीं होता (नंदीटि पृ१०५)। खउरल्लिय-कलुषित, लिप्त (जीभा ७०५)। खउरित-निर्भत्सित, तिरस्कृत-'खउरिता खरंटिता रोषेणेत्यर्थः' (निचू २ पृ २६२)। खउरिय-१ कलुषित (बृभा ३७३०) । २ मुण्डित । ३ धवलित (से १०।४३)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy