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________________ १०० देशी शब्दकोश कलंबुया-जलीय वनस्पति-विशेष (प्रज्ञा ११४६) । कलकल-चने से मिश्रित जल-'अप्पेगइया कलकलभरिएहि अप्पेगइया खारतेल्लभरिएहिं महया महया रायाभिसेएणं अभिसिंचंति' (विपा ११६।८)। कलम-१ उत्तम चावल (जीभा ३६८)। २ चना-'कलमो चणगो भण्णति' (निचू १ पृ ७०) । ३ चोर (पा १२४) । कलमल-दुर्गन्ध, अशुचि (तंदु १४६) । कलयंदि-१ पाटला, पाढर वृक्ष । २ विख्यात (दे २१५८)। कलव-गोत्र-विशेष (अंवि पृ १५०) । कलव--तुम्बी-पात्र (दे २।१२) । कलह-तलवार की म्यान (दे २१५)। कलहिमी-वृक्ष-विशेष (अंवि पृ २३८) । कलाय–सुवर्णकार (प्रटी प ३०)। कलाल-१ घोड़ों की देखरेख करने वाला (आवहाटी २ पृ ६८)। २ मदिरा बनाने-बेचने वाला (अनुद्वाहाटी पृ ७२)। कलासिक-वाद्य-विशेष (आवचू १ पृ ३०६)। कलि-शत्रु (दे २।२)। कलिअ-१ अभिमानी । २ नेवला, नकुल । ३ मित्र, सखा (दे २१५६)। कलिआ-सखी (दे २।५६ वृ)। कलिओअ-वह युग्म-राशि जिसमें एक शेष रहता है-'एगपज्जवसिए कलिओए' (आटी प १३) । कलिंच-बांस की खपाची (नि ११२)। कलिंचि-तृणपूलिका-'कलिंचि त्ति तणपूलिया इति विशेषचूणों' (बृटी पृ ४४३)। कलिज-१ बांस की टोकरी-'कलिंजो णाम वंसमयो कडवल्लो सट्टती वि भण्णति' (निचू ४ पृ १६२)। २ छोटी लकड़ी (दे २।११) । कलिदक-गाय आदि पशुओं का भोजन-पात्र (प्रसाटी प २७) । कलिंब-सूखी लकड़ी (कु पृ १७६) । कलिग-कंगण (उचू पृ १७६)। कलिम-नीलकमल (दे २१६) । कलिमाजक-फल-विशेष (अंवि पृ ६४) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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