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________________ देशी शब्दकोश ७९. ओमत्थिय-नत, अधोमुख किया हुआ (ओनि ३८६)। ओमालय-शोभित (कु पृ २२८)। ओमालिय-पूजित (कु पृ २५) । ओमोदरिता-दुभिक्ष-'ओमोदरिता दुभिक्खं' (निभा ३४२) । ओयड्ढिया-चादर, दुपट्टा (उसुटी प ४५) । ओयड्ढी--दुपट्टा, चादर-'घेत्तुं ओयड्ढीए छूढो' (उसुटी प ४५) । ओयम-गोत्र-विशेष (अंवि पृ १५०) । ओयल्ल-मृत (आवटि प ३८) । ओयविय-१ परिमित, संस्कारित-'ओयविय-खोमियदुगुल्लपट्टपडिच्छन्ने' (दश्रु ८।२०) । २ खेदज्ञ-'ओयवियं खेदज्ञं' (ओटी प ५१)। ओयाण--अनुस्रोत में चलने वाली नौका (निभा १८३) । ओयिंघण-उपबंहण, वृद्धि (सूचू १ पृ ११५)। ओर-.-१ चारु, सुंदर (दे १११४६)। २ समीप । ओरंपिअ-१ आक्रान्त । २ नष्ट (दे ११७१) । ३ छिला हुआ (पा ५८१)। ओरत्त---१ विदारित । २ अभिमानी। ३ कुसुभ रंग से रंगा हुआ (दे १११६५) । ओरल्ली--दीर्घ और मधुर ध्वनि (दे १११५४) । ओराणि---आभूषण-विशेष (अंवि पृ ७१) । ओराल—१ उदार, प्रधान (स्था ४१४५१) । २ भयंकर-'ओराले त्ति भीमो भयानक:' (ज्ञाटी प ८)। ३ विस्तृत, विशाल-ओरालं नाम वित्थरालं विसालं ति भणियं होई'। ४ मांस आदि से युक्त शरीर --'समयपरिभाषया...' (प्रज्ञाटी प २६६)। ओरालिय--१ व्याप्त । २ उपलिप्त-'दिट्ठो रुहिरोरालियसिरो' (उसुटी प ५)। ३ पोंछा हुआ। ४ फैलाया हुआ। ओरिल्ल-अचिरकाल का, थोड़े समय का, नया (दे १११५५)। ओरुज-वह क्रीडा जिसमें बार-बार 'नहीं-नहीं' कहा जाता है (दे १।१५६) । ओलअ-१ बाज पक्षी (दे १।१६०) । २ अपलाप (वृ)। ओलअणी-नववधू, नवोढा (दे १११६०)। ओलइणी---प्रिया, प्रिय पत्नी (दे १११६०) । ओलइय-१ संलग्न, लगा हुआ, चिपका हुआ (जीभा ५३८)। २ छिपाया हुआ-आउहाणि ओलइयाणि' (उशाटी प ११६) । ३ शरीर से Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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