SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 141
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७२ देशी शब्दकोश ऊसाइअ--१ विक्षिप्त (दे १११४१) । २ उत्क्षिप्त-'ऊसाइअं उत्क्षिप्तमिति धनपालः' (वृ)। ऊसायंत-खेद होने पर शिथिल (दे १।१४१) । ऊसार-विशेष प्रकार का गढा (दे १११४०) । ऊसिक्किअ—प्रदीप्त (पा १६)। ऊसिग-मध्यभाग (आचूला ११११६ पा)। ऊसुंभिअ-१ अवरुद्ध गले से रोना, धीरे रोना (दे १११४२) । २ उल्लसित (७)। ऊसुक्किअ-विमुक्त (दे १।१४२) । ऊसुय-मध्य-भाग (आचूला १।११६) । ऊसुर-ताम्बूल, पान (प्रा २।१७४) । ऊसूरुसंभिअ-अवरुद्ध गले से रोना, धीरे रोना (दे १११४२) । ऊहट्ट- उपहसित (दे १।१४०) । एआवंती-इतने-'एआवन्ती सव्वावन्ती ति एतौ द्वौ शब्दो मगधदेशी. ___ भाषाप्रसिद्धया एतावन्तः सर्वेऽपीत्येतत्पर्यायौ' (आटी प २६) । एकल्ल— अकेला (ज्ञा ११४१५७) । एकहेला--एक साथ (प्रटी प ४६) । एकाणंसा-देवी-विशेष (अंवि पृ २२३)। एकूडिया-तीतर आदि का मांस पकाने की प्रक्रिया-'आतंकाभिभूता रसगादिहेउं बगतित्तिरादीहि य एकुडियाओ पकरेंति'. (आचू पृ १६)। एक्क- स्नेहिल (दे १११४४)। एक्कंग-चन्दन (दे १।१४४) । एक्कक्कम-परस्पर (से ५१५९) । एक्कघरिल्ल—देवर, पति का छोटा भाई (दे १।१४६) । एक्कणड-कथिक, कथा कहने वाला (दे १११४५) । एक्कमुह-१ धर्म रहित ! २ दरिद्र । ३ प्रिय, इष्ट (दे १३१४८) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy