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________________ ૬૨ देशी शब्दकोश उब्बर-१ अधिक । २ संघात, समूह । ३ स्थपुट, विषमोन्नत प्रदेश (दे १।१२६)। उब्भ-१ खड़ा हुआ (निचू १पृ ५४) । २ ऊर्ध्व (दे श८६ वृ)। उब्भंड-फूहड, अस्त-व्यस्त वेशभूषा (बृभा ६१५७) । उभंत-ग्लान (दे ११६५) । उब्भग्ग-व्याप्त (दे ११६५)-'तिमिरोब्भग्गणिसाए' (वृ)। उन्भज्जी-क्षीरपेया-'कलमोतणो उ पयसा, उक्कोसो हाणि कोद्दवुब्भज्जी' (ओभा ३०७) । उन्भट-मांगा हुआ-'उब्भट्ठपरिन्नायं अन्नं लद्धं पओयणे घेत्थी' (पिनि २८१)। उब्भाअ-शांत (दे ११६६) । उभालण–१ धान्य को छाज आदि से साफ-सुथरा करना (दे १।१०३) । २ अपूर्व (वृ)। उब्भालिअ-सूर्प आदि से साफ किया हुआ (पा ५३८) । उब्भावण-परिभव (ओनि १४८) । उब्भावणा-अपभ्राजना, तिरस्कार (उशाटी प १६६) । उब्भाविअ-मैथुन (दे १।११७ वृ)। उन्भासुअ--शोभा-हीन (दे १।११०)। उन्भुआइअ—उभरा हुआ (दे १२१०५ वृ)। उन्भुआण-उफनता हुआ, अग्नि से तप्त दूध आदि का उछलना (दे १११०५)। उब्भुग्ग-चल, अस्थिर (दे १११०२)। उन्भुत्तिअ-उद्दीपित, प्रदीपित (पा १६) । उन्भुभंड-भांड-विशेष (अंवि पृ १९३)। उन्भे-तुम सब (दे १८६ वृ)। उभज्झी -क्षीरपेया (ओटी प १९६) । उमत्थिय-बांधकर-सव्वोवही (एगट्ठा कज्जति भायणं उमथिए) एगट्ठाणे पुढो कज्जति' (निचू ३ पृ ३७४) । उमाण-प्रवेश-उमाणं ति प्रवेशः' (आटी प ३२६) । उमुत्तिल्लय-१ बहु-मूत्र रोगवाला । २ मूत्राशय में सूजनवाला-'जेण वा कट्ठाइणा संचालेति तं सविसं उमुत्तिल्लयं वा खयं वा कट्टेण हवेज्जा' (निचू २ पृ २८)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.ore
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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