SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 104
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ देशी शब्दकोश ३५ आय--१ कुहन वनस्पति- विशेष ( प्रज्ञा १।४७ ) । २ वनस्पति - विशेष से बना वस्त्र - 'आयं णाम तोसलिविसए सीयतलाए अयाणं खुरेसु सेवालतरिया लग्गति, तत्थ वत्था कीरंति' (निचू २ पृ ३६९ ) । ३ देश - विशेष की अजा-बकरी के सूक्ष्म रोम से निर्मित वस्त्र ( आटी प ३९३) । आयंचण - गोमूत्र, गोबर, मेंगनी तथा खारी मिट्टी आदि ( निचू ४ पृ ३५८ ) । आयंचणिया- कुंभकार का वह पात्र, जिसमें वह घड़ा आदि बनाते समय मिट्टी का पानी रखता है (भटी पृ १२५७) । आयंस - बैल आदि के गले का आभूषण - आदर्शस्तु वृषभादिग्रीवाभरणं' ( अनुद्वामटी प ४३ ) । आयड्ढि - विस्तार (दे १।६४) । आयल्ल -- रोग ( पा ८२ ) । आयल्लय – बेचैन करने वाला, दर्दनाक - 'आयल्लयवृत्तंतो जइ वितए साहिओ' ( कु पृ १८१) । आयाबल - बाल - आतप, प्रातःकालीन सूर्य का आतप (दे ११७० ) । आयाम- बल । २ दीर्घ (दे १।६४) । आयावल-सुबह की धूप ( दे १1७० ) । आयावलय - सुबह की धूप ( पा ६०९ ) । आयासतल - प्रासाद का पिछला भाग (दे १।७२) । आयासलब - पक्षिगृह, नीड (दे १\७२) । आयुस - क्षुरकर्म, हजामत - 'हाविता पुच्छिता - केण आउस कारितं ?' ( नंदीट पृ १३६) । आयोइल्लाग - कैदी (दश्रुचू प ३९ ) । आरंदर - १ जनसंकुल । २ संकीर्ण (दे १७८ ) । आरंभिअ - मालाकार, माली (दे ११७१) । आरकुड — धातु- विशेष, पीतल (अंवि पृ १६२ ) । आरडिअ - १ विलाप, क्रन्दन । २ सचित्र (दे १।७५ वृ) । आरण - अधर, होठ (दे ११७६ ) । आरणाल– १ कमल (दे १०६७) । २ कांजी (वृ) । आरद्ध - १ प्रवृद्ध | २ उत्सुक । ३ घर में आया हुआ (दे ११७५) आरनाल--१ कांजी - 'कंजियं देसी भासाए आरनालं भण्णति' ( निचू १ पृ७४) । २ कमल (दे १।६७ ) । आरबी- देश - विशेष की दासी, अरब देश की दासी (ज्ञा १११-२ ) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy