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________________ परिशिष्ट २::.३१० भिन्न-भिन्न क्षेत्र की कुशलता की दृष्टि से सभी शब्द विमर्शनीय हैं। जैसे- . १. छेक-७२ कलाओं में पंडित । २. दक्ष-शीघ्र कार्य संपादित करने वाला। ३. प्रष्ठ-वाग्मी, कुशल वक्ता। ४. कुशल-सभी क्रियाओं का सम्यक् ज्ञाता । ५. मेधावी-आपस में अविरोधी तथा पूर्वापर का अनुसंधाता। ६. निपुण-शिल्प आदि क्रियाओं में कुशल ।' जंबू (जम्बू) जम्बूद्वीप के नामकरण का एक आधार है-जम्बूवृक्ष । इस वृक्ष के बारह पर्यायवाची मिलते हैं। उनकी अभिधा एक है, किन्तु व्यञ्जना से उनकी पर्यायगत भिन्नता भी है१. सुदर्शन-आंखों के लिए मनोहारी । २. अमोघ–फलवान । ३. सुप्रबुद्ध-सदा पुष्पित व फलित । ४. यशोधर-जम्बूद्वीप के नाम का आधारभूत वृक्ष होने के कारण यशस्वी। ५. सुभद्र-सदा कल्याणकारी। ६. विशाल-विस्तीर्ण । ७. सुजात-शुद्ध उत्पत्ति से युक्त । ८. सुमन अति रमणीय होने के कारण मन को प्रसन्न करने वाला। ६. विदेहजंबू-स्थानगत नाम । १०. सौमनस्य-मन को भाने वाला। ११. नियत-शाश्वत रहने वाला। १२. नित्यमंडित-सदा अलंकृत दीखने वाला।' १. राजटी पु ६३ । २. जीवटी प २६६-३००। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016050
Book TitleEkarthak kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Kusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1984
Total Pages444
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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