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________________ उपायण उवसम - उप्पायण उपिलावण उब्भिण्ण उभय उम्मुअणा उम्मुक्ककम्मकवय उम्मूलण उराल उराल उल्लुत्त उल्लोइत उल्लोकित उल्लोहित उवउत्त उवएस उवकरण उवगम उवगमण उवगरण उवग्गह उवधाय उवचय उवचय उवचय उवचरित उवचार उवचित उवचितदेह उवचिय उट्ठात्तिए उट्टिय Jain Education International ( पृ ३६) उवट्टिय ( पृ ३७) ( पृ ३७ ) ( पृ ३७ ) (उस्सग्ग) (सिद्ध) ( पाणवह) ( इट्ठ) ( ओराल ) ( कस) ( पृ ३७) ( णमोक्कत) ( पृ ३७) ( अतिवत्त) (सुत्त) ( परिग्गह) (लाभ) (लाभ) ( उब हि) ( उवहि) (डिसेवणा) ( परिगह ) (काय) (पिंड) ( पृ ३७ ) ( पृ ३७ ) ( थूल) ( परिवूढ ) ( परिवुड्ढ ) (मुंडावत्तए) ( पृ ३७) उवणय उवणामेति उवत्थड उवदंसण उवदसिय उववेस उवधारण उवधारिय उवधि उवधि उवम्म उवयंति उवयत्ति उवयोग उवयोग उवरय उवलंभणा उववाय उववाय उवविसणा उववृत्त उववूह उवसंत उवसंत उवसंत; उवसंत उवसंधार उवसंपया उवसग उवसम परिशिष्ट १ For Private & Personal Use Only : १८३ ( उवसंत ) (गिदंसण) ( आणेति) (आइन्च) (णिवंसण) ( आघविय) ( आणा) (उग्गह) (बिट्ठ) ( पृ ३७) (पणिधि) ( पृ ३८ ) (३८) (वितय) (नाथ) (चेपण) (नियिय) (खज्जगिया) ( पृ ३८) (BITUIT) ( णिसियणा ) (महव्वय) (पृ३८) (हिप) (संत) (३८) (निट्ठिय) (णिदंसण) ( निस्सा) ( पृ ३८ ) ( संति) www.jainelibrary.org
SR No.016050
Book TitleEkarthak kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Kusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1984
Total Pages444
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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