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________________ चएज्ज - छोड दे । चएज्जत्ति वा जहेज्ज त्ति वा एगट्ठा । चंद - चांद | चंचल - चंचल | चंचल गलंत सलोल चवल फुरफुरेंत निल्लालिय । 'चंडाल -- चांडाल । हरिएसा चंडाला सोवागा मयंग बाहिरा पाणा । साधणाय मयासा सुसाणवित्तीय नीया य ॥ चंदो ससी सोमो उडुपती । चंद्र-चन्द्रमा | चन्द्रः शशी निशाकरः उडुपतिः रजनीकरः । चत्तदेह - त्यक्तदेह | चत्तदेहं देहोवरओ त्ति एगट्ठा 1 चन्द्रिका - चांदनी । चन्द्रिका कौमुदी ज्योत्स्ना तथा चन्द्रातपः । चाहि-त्याग दो । चरण - गति करना । चरणं गतिर्गमनम् । शील । चरणं वृत्तं मर्यादेत्यनर्थान्तरम् । चरण - चारित्र, चरति -- खाता है | चरति त्ति वा भक्खति त्ति वा एगट्ठा चएज्ज - चरति १. देखें- परि० २ २. देखें – परि० ३ Jain Education International चाहि त्ति वा छड्डेहित्ति वा जहाहि त्ति वा एगट्ठा । " ( दश जिचू पृ ३६६ ) For Private & Personal Use Only : ५७ ( ज्ञा १ / ८ /७२) ( उनि ३२३ ) ( आवचू १ पृ ६०६ ) ( आवचू १ पृ ४६१ ) ( अनुद्वाहाटी पृ १४ ) ३. देखें-- परि० ३ ४. देखें- परि० ३ ( सूर्यटीप ६४ ) ( दशजिचू पृ८६ ) ( आटी प ३७४ ) ( सूचू २ पृ ४४३ ) (दश जिचू पृ ३१९ ) www.jainelibrary.org
SR No.016050
Book TitleEkarthak kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Kusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1984
Total Pages444
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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