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________________ आगम विषय कोश-२ ४९१ वस्त्र जांगमिक-अंडज, कीटज और बालज। वा, आयकाणि वा, कायकाणि वा, खोमयाणि वा, दुगुल्लाणि भांगिक-सानिक-तिरीटपट्ट-वल्कज वा, मलयाणि वा, पत्तण्णाणि वा, अंसयाणि वा, चीणंसुयाणि पोतक-बोंडज। द्र श्रीआको १ सूत्र) वा, देसरागाणि वा, अमिलाणिवा, गज्जलाणि वा, फालियाणि २. चर्ममय प्रावरण के प्रकार वा, कोयहा (वा? )णि वा, कंबलगाणि वा, पावाराणि वा"। ___."आईणपाउरणाणि वत्थाणि..."उद्दाणि वा, पेसाणि आजिनानि मूषकादिचर्मनिष्पन्नानि, श्लक्ष्णानि सूक्ष्माणि वा, पेसलेसाणि वा, किण्हमिगाईणगाणि वा, णील- च तानि वर्णच्छव्यादिभिश्च कल्याणानि-शोभनानि वा मिगाईणगाणि वा, गोरमिगाईणगाणि वा, कणगाणि वा, सूक्ष्मकल्याणानि, आयाणि त्ति क्वचिद्देशविशेषेऽजाः कणगकताणि वा, कणगपट्टाणि वा, कणगखइयाणि वा, सक्ष्मरोमवत्यो भवन्ति तत्पक्ष्मनिष्पन्नानि आजकानि भवन्ति, कणगफुसियाणि वा, वग्याणि वा, विवग्याणि वा, आभरणाणि तथा क्वचिद्देशे इन्द्रनीलवर्णः कर्पासो भवति तेन निष्पन्नानि वा, आभरणविचित्ताणि वा"। कायकानि, क्षौमिकं -सामान्यकासिकं, दुकूलंउद्राः-सिन्धुविषये मत्स्यास्तत्सूक्ष्मचर्मनिष्पन्नानि उद्राणि, गौडविषयविशिष्टकार्पासिकं, पट्टसूत्रनिष्पन्नानि पट्टानि, पेसाणि त्ति सिन्धुविषय एव सूक्ष्मचर्माणः पशवस्तच्चर्म- मलयानि-मलयजसूत्रोत्पन्नानि, पन्नुन्नं ति वल्कलतन्तुनिष्पन्नानीति, पेसलाणि त्ति तच्चर्मसूक्ष्मपक्ष्मनिष्पन्नानि निष्पन्न । (आचूला ५/१४ वृ) कनकरसच्चरितानि "कृतकनकरस-पट्टानि"कनकरसस्तब- ..आईणाणि वा"तिरीडपाणि वा"कोतवाणि वा"॥ काञ्चितानि"। (आचूला ५/१५ वृ) "सहिणं सूक्ष्म, कल्लाणं स्निग्धं, लक्षणयुक्तं वा" कणगसुत्तेण फुल्लिया जस्स पाडिया तं कणग आयं णाम तोसलिविसए सीयतलाए अयाणं खुरेसु सेवालखचितं चित्तग-चम्मं विवग्घाणि। एत्थ छपत्रिकादि एका तरिया लग्गति, तत्थ वत्था कीरंति। कायाणि कायविसए भरणेन मंडिता'चंदलेहिक-स्वस्तिक-घंटिक-मोत्तिकमादीहिं काकजंघस्स जहिं मणी पडितो तलागे तत्थ रत्ताणि जाणि मंडिता आभरणविचित्ता। (नि ७/१० की चू) ताणि कायाणि भण्णंति।पोंडमया खोम्मा, अण्णे भणंतिचर्ममय प्रावरण के अनेक प्रकार हैं रुक्खेहितो निग्गच्छंति।"दुगुल्लो रुक्खो तस्स वागो घेत्तुं ० उद्र वस्त्र-सिन्धु देश के मत्स्यों की सूक्ष्म चर्म से निष्पन्न। उदूखले कुट्टिजति पाणिएण ताव जाव झूसीभूतो ताहे ० पेश-सिन्ध देश के सक्ष्म चर्म वाले पशुओं की चर्म से निष्पन्न। कजति एतेस दगल्लो. तिरीडरुक्खस्स वागो. तस्स तंत ० पेशलेश/पेशल वस्त्र-सिन्धु देश के सूक्ष्म चर्म वाले पशुओं के पट्टसरिसो सो तिरीलपट्टो।"दुगुल्लातो अब्भंतरहिते जं सूक्ष्म रोओं से निष्पन्न। उप्पज्जति तं अंसुयं, सुहुमतरं चीणंसुयं भण्णति। चीणविसए ० कृष्णमृग, नीलमृग और गौरमृग के चर्म से निष्पन्न वस्त्र। . वा जं तं चीणंसुयं, जत्थ विसए जा रंगविधी ताए देसे रत्ता ० स्वर्णिम वस्त्र-स्वर्णरस में लिपटे वस्त्र। देसरागा। रोमेसु कया अमिला। गज्जित-समाणसदं करेंति कनकपट्ट-स्वर्ण रसपट्टियों वाले वस्त्र। ते गज्जला। फडिग-पाहाणनिभा फाडिगा अच्छा इत्यर्थः। ० कनकखचित-स्वर्णसूत्र से अंकित पुष्प वाले। कोतवो वरको... (नि ७/१० चू) ० कनकस्पृष्ट-स्वर्णचन्द्रिकाओं से स्पृष्ट । ० आजिन-चूहे आदि के चर्म से निर्मित वस्त्र। ० वैयाघ्र-विवैयाघ्र--व्याघ्रचर्म या चीते के चर्म से निष्पन्न। ० श्लक्ष्ण-सूक्ष्म या मुलायम वस्त्र। ० आभरण-एक आभरण से मंडित वस्त्र। ० श्लक्ष्ण कल्याण-सूक्ष्म स्निग्ध अथवा लक्षणयुक्त वस्त्र। ० आभरणविचित्र-स्वस्तिक, घंटिका, मौक्तिक आदि से मंडित। वर्ण-छवि आदि से शोभित वस्त्र। ३. महामूल्यवान् वस्त्रों के प्रकार ० आयक-आजक-देश विशेष की सूक्ष्मरोमवती अजा के रोमों "आजिणगाणिवा, सहिणाणिवा, सहिण-कल्लाणाणि से निष्पन्न। तोसली देश में शीतल जल वाले तालाब में अजाओं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016049
Book TitleBhikshu Agam Visjay kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalprajna, Siddhpragna
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages732
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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