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________________ आगम विषय कोश-२ २४५ जातिस्मृति जातिस्मृति-पूर्वजन्मों का ज्ञान। हो गया।-आवचू १ पृ ४५५-४६० ० कपिल-कपिल काश्यप ब्राह्मण का पुत्र था। उसे दो माशा जातिस्मृति के प्रकार सोने की जरूरत थी। सोना प्राप्ति की आशा से वह रात्रि को ...""जाइस्सरणाईओ, सनिमित्तमनिमित्तओ वा वि॥ घर से निकला। नगर-आरक्षकों ने उसे चोर समझकर पकड़ .. जातिस्मरणादिकः सनिमित्तकोऽनिमित्तको लिया और राजा के सामने प्रस्तुत किया। राजा के पूछने पर वा द्रष्टव्यः। तत्र यद् बाह्यं निमित्तमुद्दिश्य जाति कपिल ने सरलता से सारी बात बता दी। राजा ने प्रसन्न स्मरणमुपजायते तत् सनिमित्तकम्, यथा वल्कलचीरि होकर कहा-जो चाहो, मांग लो। कपिल ने सोचने का अवसर प्रभृतीनाम्।यत् पुनरेवमेव तदावारककर्मणां क्षयोपशमे मांगा। आज्ञा लेकर वह अशोक वनिका में गया। चिंतन नोत्पद्यते तदनिमित्तकम्, यथा स्वयम्बुद्धकपिलादीनाम्। किया-क्या मांगू? दो माशा सोने से लेकर करोड़ तक मांगने का ___(बृभा ११३३ वृ) चिंतन किया, परन्तु मन नहीं भरा। संतोष के बिना शांति कहां? जातिस्मृति के दो प्रकार हैं मन आंदोलित हुआ। तत्क्षण समाधान मिल गया। मन वैराग्य १. सनिमित्तक-किसी बाह्य निमित्त को पाकर होने वाली से भर गया। चिंतन का प्रवाह मुड़ा, जातिस्मरण ज्ञान हो गया, पूर्वजन्म की स्मृति । जैसे-वल्कलचीरी आदि। स्वयंबुद्ध बन गया, मुनि बन गया। -उशावृ प २८७, २९९) २. अनिमित्तक-बिना किसी निमित्त के केवल ऐसे ही २. जातिस्मृति से आत्मबोध जातिस्मृति आवारक कर्मों के क्षयोपशम से होने वाली पूर्वजन्म । ण इमं चित्तं आदाय गृहीत्वा कतरं जातिस्मरणादि की स्मृति । जैसे-स्वयंबुद्ध कपिल आदि। भुज्जो पुणो लोगंसि संसारे जायति उप्पज्जति, आत्मनः ___(वल्कलचीरी-राजा सोमचन्द्र और रानी धारिणी ने उत्तमं"जोऽहं परभवे आसि, अहवा उत्तमो संजमो मोक्खो दिशाप्रोक्षित तापस के रूप में दीक्षा ग्रहण की। वे एक आश्रम वा यत्र तमो अन्नाणं कम्मं वा ण विज्जति, अथवा श्रेष्ठं में रहने लगे। दीक्षित होते समय रानी गर्भवती थी। समय निर्वाहकं हितं वा आत्मनः तज्जानीते। पूरा होने पर रानी ने एक बालक को जन्म दिया। उसे वल्कल (दशा ५/७/२ की चू) में रखने के कारण बालक का नाम वल्कलचीरी रखा। कुछ वर्ष बीते । एक दिन कुमार वल्कलचीरी उटज जीव जातिस्मृति से पुनः-पुनः संसार में उत्पन्न नहीं में यह देखने के लिए गया कि राजर्षि पिता के उपकरण किस होता, कर्मश्रृंखला को छिन्न कर देता है। स्थिति में हैं? वहां वह अपने उत्तरीय के पल्ले से उनकी । ___० वह पूर्वजन्म को जान लेता है। प्रतिलेखना करने लगा। अन्यान्य उपकरणों की प्रतिलेखना ० उसका उत्तम स्थान संयम और मोक्ष है, जहां अंधकार नहीं कर चुकने के बाद ज्योंही वह पात्र-केसरिका की प्रतिलेखना । __ है, अज्ञान नहीं है, कर्म नहीं है-वह इसे जान लेता है। करने लगा तो प्रतिलेखना करते-करते उसने सोचा-'मैंने ० अमुक आचरण आत्मा के लिए हितकारी है, इसे भी वह ऐसी क्रियाएं पहले भी की हैं।' वह विधि का अनुस्मरण जान लेता है। करने लगा। तदावरणीय कर्मों का क्षयोपशम होने पर उसे ___ * जातिस्मृति : चित्तसमाधि का हेतु द्रचित्तसमाधिस्थान जातिस्मृति ज्ञान उत्पन्न हो गया, जिससे देवभव, मनुष्यभव ये स्वयम्भूरमणसमुद्रे मत्स्यास्ते प्रतिमासंस्थितान् तथा पूर्वाचरित श्रामण्य की स्मृति हो आई। इस स्मृति से मत्स्यान् उत्पलानि वा दृष्ट्वेहा-ऽपोहादि कुर्वन्तो जातिउसका वैराग्य बढ़ा। धर्मध्यान से अतीत हो, विशुद्ध परिणामों स्मरणतः सम्यक्त्वमासादयन्ति। (बृभा १२५ की वृ) में बढ़ता हुआ, शुक्लध्यान की दूसरी भूमिका का अतिक्रमण । जो स्वयंभूरमण समुद्र के मत्स्य हैं, वे प्रतिमाकर, विकारों, आवरणों और अवरोधों को नष्ट कर वह केवली संस्थान से संस्थित मत्स्यों अथवा उत्पलों को देखकर ईहा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016049
Book TitleBhikshu Agam Visjay kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalprajna, Siddhpragna
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages732
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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