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________________ भूमिका में रखकर कुछ अपेक्षित कोशों का कार्य साध्वी विमलप्रज्ञा और साध्वी सिद्धप्रज्ञा को सौंपा गया। उन्होंने समय की सापेक्षता के अनुसार कार्य किया। श्रीभिक्षु आगम विषय कोश सन् १९९६ में समाने आ गया। वह विद्वद्वर्ग द्वारा काफी समादृत हुआ । उसका अग्रिम भाग पाठक वर्ग के सामने प्रस्तुत हो रहा है। इसकी उपयोगिता आचारशास्त्री के लिए बहुत है। इसका ऐतिहासिक मूल्य भी कम नहीं है । बृहत्कल्प, व्यवहार और निशीथ के भाष्य आकर ग्रंथ हैं। इनमें से कुछ विषयों का चयन करना अति दुर्गम है । इस दुर्गम कार्य को साध्वी विमलप्रज्ञा और साध्वी सिद्धप्रज्ञा की कार्यनिष्ठा ने सुगम बनाया है। मुनि दुलहराजजी ने इसका सांगोपांग परामर्श कर सुव्यवस्थित किया है। समणी उज्ज्वलप्रज्ञा और साध्वी दर्शनविभा ने प्रतिलिपि, परिशिष्ट, प्रूफ अवलोकन आदि में काफी श्रम किया है। १४ सिरियारी वीर निर्वाण दिवस १२ नवम्बर, २००४ Jain Education International For Private & Personal Use Only आचार्य महाप्रज्ञ www.jainelibrary.org
SR No.016049
Book TitleBhikshu Agam Visjay kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalprajna, Siddhpragna
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages732
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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