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________________ परिशिष्ट २ विषय कार्य-कारण काल कृत अकृत की चर्चा केवलज्ञान केवलज्ञान : आत्मप्रत्यय चारित्र जिनकल्प जीवप्रादेशिकवाद ज्ञान तीर्थं राशिकबाद दिशा निरूपण द्विक्रियावाद नमस्कार नियुक्ति नय नय : द्रव्यार्थिक पर्यायार्थिक निक्षेप नित्यानित्यत्व की सिद्धि न्याय हेतु उदाहरण पुद्गल परिणमन की विचित्रता प्रमाण संव्यवहार प्रत्यक्ष बहरतवाद बोटिकमत भाव ( औदयिक आदि) का काल भाषा द्रव्य मंगल मतिज्ञान: अयुतनिथित मति मतिज्ञान और श्रुतज्ञान में वेद मन:पर्ययज्ञान के उपक्रम मृत्यु ? मोक्षमार्ग ज्ञान-दर्शन- चारित्र रात्रिभोजनविरमण मूलगुण या उत्तरगुण लक्षण की परिभाषा और उसके बारह मेव लब्धि Jain Education International ७५२ दार्शनिक और तात्त्विक चर्चास्थल संदर्भ वि २०९९-२११८. म ७४०-७४६ वि २०२०-२०३९, २०६८-२०७२. म ७१५-७१९, ७३०-७३२ वि ३३६३-३३०१. म ३१७-३२१ वि ८२३-८३६. म ३३७-३३९ वि २१३२-२१४५. म ७५०-७५४ वि १२३४-१२-२. म ४६७-४८१ वि७.८-१४ वि २३३३-२३५५. म ४४-४९ वि ७९-९२. म ४५-५१ वि १०२६-१०५१. म ४०८-४१५ वि २४५१-२५०८ म७३-९० वि २६९७-२७०७. म १४७-१५१ वि २४२४- २४५०. म ६५-७३ वि २००१-२९५६. म १७९-२२१ वि २१-१-२२७८. म १ -२८ वि २६४१-२६७२. म १३१-१४० वि २४-७८. म २०-४४ वि ५४३,५४४. म २४६-२५० वि १०७६-१०७८. म ४२१,४२२ वि १९०६-१९९०. म ७०१ वि ९३-९५ म ५१-५३ वि २३०६-२३३२ म ३५-४३ वि २५५०-२६०९. म १०५-१२१ वि २०७५-२००१ म ७३३,७३४ वि ३५१-३९५ म १७५-१९२ वि १०-५९ म १५-३५ वि ३०४-३११. म १५२ - १५६ वि ९६ - १००, १०५-१७५ म ५४ ५७, ६०-८९ वि८०९८२२३३१-३३६ वि २०४१ २०६१. म ७२० ७२९ वि ११२६-११७८. म ४३६-४५१ वि १२४०-१२४५. म ४७०, ४७१ वि २१४६-२१७९. म ७५४-७६४ वि ७७९-८०४. म ३२२-२२८ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016048
Book TitleBhikshu Agam Visjay kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalprajna, Siddhpragna
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages804
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size18 MB
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