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________________ ७१२ सूत्र (सूत) बालज सूत अंडज सूत २. मलय मलयदेश में निर्मित सूत मलयसूत अंडाज्जातं अंडज तं च हंसगब्भ, अंडमिति कोसि- कहलाता है। कारको सगभो भण्णाति सो पक्खी सो तं पतंगो तस्स ३.४. अंशक, चीनांशक-भारत आदि देशों में होने गम्भो, एवं चडयसुत्तं हंसगम्भं भण्णति । (अनुच पृ१५) वाला सूक्ष्म सूत अंशुक और चीन देश में बना हुआ सूक्ष्म ___ अण्ड का अर्थ है-कोशी (खोल) का निर्माण सूत चीनांशुक कहलाता है। करने वाला कीट । उससे उत्पन्न होने वाला सूत ५. कृमिराग-कमचिया रंग का सूत्र । इस सूत्र निर्माण अण्डज-हंसगर्भ कहलाता है। हंस का अर्थ है-पतंगा, की प्रक्रिया में बताया गया कि मनुष्य का रक्त निकालकर यह चतुरिन्द्रिय जीव विशेष होता है। उसके गर्भ से उसमें कोई रासायनिक पदार्थ मिलाकर एक पात्र में अथवा कोशिका से निकलने वाला सूत अण्डज होता है। रख दिया जाता है। उस रक्त में कृमि उत्पन्न होकर देशी भाषा में इसे चटकसूत भी कहा जाता है। वे हवा की खोज में पात्र के छेदों से बाहर निकलते हैं। आस-पास घूमते समय उनके मुख से लार टपकती है, कीटज सूत उससे सूत्र बन जाता है।। अरन्ने वणणिगुंजट्ठाणे मंसं चीड वा आमिसं पुंजेसु कुछ मानते हैं कि रक्त में उत्पन्न कृमियों को उसी ठविज्जइ, तेसिं पुजाण पासओ णिण्णुण्णता संतरा बहवे रक्त में मला जाता है। उनके खोलों को निकालकर उस खीलया भूमीए उद्धा णिहोडिज्जति, तत्थ वणंतरातो रस में कुछ पदार्थ मिलाकर वस्त्र को रंगा जाता है, पदंगकीडा आगच्छंति, तं तं मंसचीडाइयं आमिसं चरंता वही कृमिराग है। इतो ततो कीलंतरेसु संचरंता लालं मुयंति, एस पट्टो। बालज सूत मलयविसयुप्पण्णो मलयपट्टो भण्णति ।। चीणविसयबहिमुप्पण्णो असुपट्टो चीणविसयुप्पण्णो मिएहितो लहुतरा मृगाकृतयो बृहत्पिच्छा तेसि लोमा मियलोमा । कुतवो उंदुररोमेसु । उण्णितादीणं अवघाडो चीणंसुयपट्टो। ___मणुयादिरहिरं घेत्तुं किणावि जोगेण जुत्तं भायण किट्टिसमहवा एतेसिं दुगादिसंयोगजं किट्टिसं । संपुडंमि तविज्जति, तत्थ किमी उप्पज्जति, ते वाताभि (अनुचू प १५) लासिणो छिद्दनिग्गता इतो ततो य आसण्णं भमंति, तेसि १. मृगरोम-मृग की आकृति वाले, बड़ी पूंछ वाले णीहारलाला किमिरागपदो भण्णति, सो सपरिणामं आटविक जीवों के रोमों से निष्पन्न सूत को मृगरोम रंगरंगितो चेव भवति । अण्णे भणंति-जहा रुहिरे उप्पन्ना कहा जाता है। किमितो तत्थेव मलेत्ता कोसटें उत्तारेत्ता तत्थ रसे किंपि २. कौतव-चूहे के रोम से बना हआ सूत कौतव जोगं पक्खिवित्ता वत्थं रयं ति सो किमिरागो भण्णति । कहलाता है। (अनुचू पृ १५) ३. किट्टिस ऊन, मृगरोम आदि का सूत बनाने के बाद जो कचरा बचता है, उससे निर्मित सूत किट्रिस १. पट्ट सूत कहलाता है। अथवा ऊन, ऊंट के रोम, मृगरोम और वननिकुञ्ज में किसी स्थान पर मांस के टुकड़े चूहों के रोम-इनमें से दो-तीन के मिश्रण से जो सूत रख दिए जाते हैं। उनके आस-पास थोडी-थोडी दूरी पर ' ऊपर-नीचे कील गाड़ दिए जाते हैं। वन में घूमते हुए बनता है, वह किट्टिस कहलाता है। पतंगकीट मांस की गंध पाकर वहां पहुंचते हैं। मांस सूत्रकृतांग-अंगप्रविष्ट आगम । दसरा अंग । खाने के लिए वे कीलों के बीच में इधर-उधर घूमते हैं। (द. अंगप्रविष्ट) उस समय उनके मुख से लार का स्राव होता है जो कीलों पर चिपक जाता है। उस लाला से निर्मित सूत्र पट्टसूत्र कहलाता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016048
Book TitleBhikshu Agam Visjay kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalprajna, Siddhpragna
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages804
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size18 MB
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