SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 73
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनुप्रेक्षा बारह अनुप्रेक्षाएं १८. छत्र-लोकापवाद, अहंकार । अनुगम-व्याख्या का तीसरा द्वार। अस्तित्व, १९. चिकित्सा-सूत्र और अर्थ की हानि । नास्तित्व, द्रव्यमान, क्षेत्र, स्पर्शना, काल २०. उपानत्-गर्व आदि। .. आदि अनेक पहलुओं से व्याख्या करना । २१. अग्निसमारंभ-जीववध । (द्र. अनुयोग) २२. शय्यातरपिंड-एषणा दोष । अनुत्तरोपपातिक-अनुत्तर विमान में उत्पन्न होने २३. आसन्दी और पर्य -शुषिर में रहे जीवों की। वाले देव। (द्र. देव) विराधना की संभावना। अनुत्तरोपपातिकदशा-जैन आगम, नौवां अंग। २४. गृहान्तरनिषधा-ब्रह्मचर्य की अगुप्ति, शंका आदि (द्र. अंगप्रविष्ट) दोष । अनुप्रेक्षा--मन की मूर्छा को तोड़ने वाले विषयों २५. गात्र-उद्वर्तन -विभूषा । का अनुचिन्तन । २६. गृहिवयापृत्य-अधिकरण । १. बारह अनुप्रेक्षाएं २७. आजीववृत्तिता--आसक्ति । २. अनित्य अनुप्रेक्षा २८. तप्तानिरवतभोजित्व...- जीववध । ३. अशरण अनुप्रेक्षा २९. आतुरस्मरण-दीक्षात्याग आदि । ४. संसार अनुप्रेक्षा ३०. मूल आदि का ग्रहण-वनस्पति का घात । .. ५. एकत्व अनुप्रेक्षा ३१. सौवर्चल आदि नमक का ग्रहण-पृथ्वीकाय का | ६. अन्यस्व अनुप्रेक्षा विघात। ७. अशौच अनुप्रेक्षा ३२. धूपन आदि-विभूषा। ८. आश्रय अनुप्रेक्षा अनाथ-(द्र. नाथ) ९. संवर अनुप्रेक्षा १०. निर्जरा अनुप्रेक्षा मनादिश्रुत-वह श्रुत जो आदि रहित है।। ११. धर्म अनुप्रेक्षा श्रुतज्ञान का एक भेद । (द्र. श्रुतज्ञान) | १२. लोक अनुप्रेक्षा अनानुगामिक-अवधिज्ञान का एक प्रकार, जो | १३. बोधिदुर्लभ अनुप्रेक्षा ।.. ज्ञाता का अनुगमन नहीं करता। | १४. अनुप्रेक्षा के परिणाम (द्र. अवधिज्ञान) * अनुप्रेक्षा : स्वाध्याय का एक प्रकार (इ. स्वाध्याय) अनानुपूर्वी-(द्र. आनुपूर्वी) | * धर्मशुक्ल ध्यान की अनुप्रेक्षा (द्र. ध्यान) । • अनुप्रेक्षा और भावना (द्र. मावना), अनित्य अनुप्रेक्षा-पदार्थों की नश्वरता का - अनुचिन्तन । (द्र. अनुप्रेक्षा) १. बारह अनुप्रेक्षाएं अनिवत्तिकरण-ग्रंथि-भेद होने पर जिस परिणाम ........"अणिच्चाइभावणा.."आदिशब्दादशरणकत्व से अन्तर्महत , स्थिति वाले संसारपरिग्रहः, एताश्च द्वादशानुपंक्षा भावयितव्याः । मिथ्यात्व दलिकों का पूर्ण उप a (आवहाव २ पृ.७६) अनुप्रेक्षा के बारह प्रकार है-- शमन किया जाता है । करण का .. १. अनित्य ७. आश्रव तीसरा प्रकार। (द्र. करण) २. अशरण ८. संवर अनिवृत्तिबादर-जिस जीव के स्थूल कषाय का थोड़ा ३. संसार ९. निर्जरा अंश बाकी रहता है, उसकी . ४. एकत्व १०. धर्म आत्म-विशुद्धि । नौवां गुणस्थान ।। ५. अन्यत्व ११. लोक (द्र. गुणस्थान) ६. अशौच १२. बोधिदुर्लभ : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016048
Book TitleBhikshu Agam Visjay kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalprajna, Siddhpragna
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages804
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy