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________________ संस्थान ४. युग्मप्रदेश घनवृत्त बत्तीस अणु बत्तीस आकाशप्रदेशों में अवगाव - प्रतरवृत्तके बारह अणुओं पर अन्य बारह अणु और उनके ऊपर-नीचे चार-चार अणु स्थापित करने पर जघन्य युग्मप्रदेश घनवृत्त संस्थान बनता है । न्यत्र संस्थान १. ओजः प्रदेश प्रतरन्यत्र तीन अणुओं से निष्पन्न त्रिप्रदेशावगाढदो अणु तिर्यक् स्थापित कर प्रथम अणु के नीचे एक अणु स्थापित करने से यह संस्थान बनता है । २. युग्मप्रदेश प्रतरन्यत्र -छह अणुओं से निष्पन्न छह प्रदेशों में अवगाढ- तीन अणु तिर्यक् स्थापित कर प्रथम अणु के नीचे अधः ऊर्ध्व-भाव से दो अणु और द्वितीय अणु के नीचे एक अणु स्थापित करने से यह संस्थान बनता है। ६६४ २. ओजः प्रदेश घनश्यत्र पचीस अणु पचीस आकाशप्रदेशों में अवगाढ- पांच अणु तिर्यक् स्थापित कर उनके नीचे-नीचे क्रमशः चार, तीन, दो और एक अणु की तिर्यक् स्थापना और इस प्रतर के ऊपर सब पंक्तियों के अन्तिम अन्तिम अणु का परिहार कर शेष दस अणुओं की स्थापना, उसी प्रकार उनके ऊपर-ऊपर छह, तीन और एक अणु की क्रमशः स्थापना करने से यह संस्थान बनता है। - ४. युग्मप्रदेश घनव्यस्र-वार अणु चार आकाशप्रदेशों में अवगाढ - तीन अणु वाले प्रतरत्र्यत्र के किसी एक अणु पर एक अन्य अणु स्थापित करने से यह संस्थान बनता है । चतुरस्र संस्थान १. ओजःप्रदेश प्रतरचतुरस्रनो अणु नौ आकाशप्रदेशों में अवगाढ- तीन-तीन अणु तीन पंक्तियों में तिर्यक् स्थापित करने से यह संस्थान बनता है। २. युग्मप्रदेश प्रतरचतुरस्र-चार अणु चार आकाशप्रदेशों में अवगाढ - दो-दो अणुओं की दो पंक्तियों में तिर्यक् स्थापना | Jain Education International ३. ओजः प्रदेश घनचतुरस्र - सत्ताईस अणु सत्ताईस आकाशप्रदेशों में अवगाढनो अणुओं वाले प्रतर परिमंडल संस्थान चतुरस्र के नीचे और ऊपर नौ-नौ अणुओं की तिर्यक् स्थापना । ४. युग्मप्रदेश धनचतुरस्र-आठ अणु आठ आकाश प्रदेशों में अवगाढ- चार अणु वाले प्रतरचतुरस्र के ऊपर चार अन्य अणुओं की स्थापना । आयत संस्थान १. ओजः प्रदेश श्रेणिआयत तीन अणु तीन आकाशप्रदेशों में अवगाढ तीन अणुओं की तिर्यक् स्थापना | - २. युग्मप्रदेश श्रेणिआयत दो अणु द्विप्रदेशावगाढदो अणुओं की तिर्यक् स्थापना । ३. ओजः प्रदेश प्रतरायत पन्द्रह अणु पन्द्रह प्रदेशों में अवगाढ- पांच-पांच अणुओं की तीन पंक्तियों में तिर्यक् स्थापना | ४. युग्मप्रदेश प्रतरायत छह अणु छह प्रदेशों में अवगाढ -- तीन-तीन अणुओं की दो पंक्तियों में तिर्यक् स्थापना | ५. ओज प्रदेश बनायत पैतालीस अणु पैंतालीस प्रदेशों में अवगाढ - पन्द्रह अणुओं वाले प्रतरायत के नीचे और ऊपर पन्द्रह - पन्द्रह अणुओं की तिर्यक् स्थापना । ६. युग्मप्रदेश बनायत - बारह अण् बारह प्रदेशों में अवगाढ -- छह अणुओं के प्रतरायत के ऊपर छह अणुओं की तिर्वक् स्थापना । -- परिमंडल संस्थान १. प्रतर परिमंडल बीस अणु बीस प्रदेशों में अवगाढ - पूर्व आदि चार दिशाओं में चार-चार और चार विदिशाओं में एक-एक अणु की स्थापना । २. घन परिमण्डल - चालीस अणु चालीस प्रदेशों में अवगाढ बीस अणुओं के प्रतर परिमण्डल पर अन्य बीस अणुओं की स्थापना । इस प्रकार इस प्ररूपण से फलित होता है कि यहां निर्दिष्ट संख्या से एक भी अणु कम हो तो यथेष्ट संस्थान निर्मित नहीं हो सकता । यद्यपि यह विषय अतिशायी अतीन्द्रिय ज्ञानियों द्वारा ही गम्य है, सामान्य ज्ञानी इसका सर्वधा अनुभव में आरोपण नहीं कर सकते, फिर भी स्थापना आदि के द्वारा जितना संभव हुआ है, उतना प्ररूपित किया गया है। For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016048
Book TitleBhikshu Agam Visjay kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalprajna, Siddhpragna
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages804
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size18 MB
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