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________________ अधर्मलेश्या अधर्मलेश्या कृष्ण, नील और कापोत – ये तीन अधर्म (अशुभ) श्यायें हैं । (द्र. लेश्या) अधर्मास्तिकाय - जीव और पुद्गल की स्थिति में सहायक द्रव्य । (द्र अस्तिकाय) अधिगम सम्यक्त्व - गुरु के उपदेश अथवा किसी अन्य बाह्य निमित्त से मिलने वाला सम्यक्त्व | अनंत संख्या प्रमाण का एक उपभेद । अनगार — श्रमण । अनंतनाथ - चौदहवें तीर्थंकर । अनंतानुबंध - (द्र कषाय ) अनक्षरश्रुत- श्रुतज्ञान का एक भेद । संकेतात्मक ज्ञानपद्धति । (द्र श्रुतज्ञान) अगरं गृहं तं से णत्थि अणगारो । १. अनशन (दअचू पृ २३४) जिसके स्वयं का अगार - घर नहीं होता, वह अनगार है । (द्र. श्रमण ) अनवस्थाप्य - - तपस्यापूर्वक पुनर्दीक्षा । प्रायश्चित्त का एक भेद । (द्र प्रायश्चित्त) अनशन - अल्पकालिक अथवा यावज्जीवन आहार का परिहार | ० परिभाषा ० प्रकार २. इत्वरिक अनशन परिभाषा (द्र. सम्यक्त्व ) 0 (द्र संख्या) (द्र तीर्थंकर) ० प्रकार ० विधि • प्रायोपगमन का वैशिष्ट्य ० प्रकार ३. यावत्कथिक अनशन : सविचार-अविचार.. ० प्रकार - प्रायोपगमन. इंगिनी, भक्तप्रत्याख्यान | ४. प्रायोपगमन अनशन ० परिभाषा Jain Education International २२ ५. इंगिनी अनशन ६. भक्तप्रत्याख्यान ० परिभाषा ० विधि ७. अनशन के परिणाम * अनशन क्यों ? * अनशन : बाह्य तप का भेद * अनशन से पूर्व संलेखना * अनशन और आलोचना * अनशन और प्रतिक्रमण * प्रायोपगमन आदि अनशन इत्वरिक अनशन ( द्र. आहार ) (द्र. तप) (द्र. संलेखना ) ( द्र. आलोचना ) (व्र प्रतिक्रमण ) मरण के प्रकार ( व्र. मरण ) * तीर्थंकरों के प्रायोपगमन अनशन (द्र. तीर्थंकर) १. अनशन की परिभाषा असणं -- भोयणं । तस्स परिच्चातो अणसणं । ( अचू पृ १२ ) जं न असिज्जइ अणसणं, णो आहारिज्जइत्ति वृत्तं भवति । ( दजिचू पृ २१ ) अशन का अर्थ है - भोजन । उसका परित्याग करना अनशन है । किसी भी प्रकार का आहार ग्रहण न करना अनशन तं दुविहं इत्तिरियं आवकहियं च । है । अनशन के प्रकार इत्तिरिया मरणकाले, दुविहा अणसणा भवे । इत्तिरिया सावकंखा, निरवकखा बिइज्जिया ॥ For Private & Personal Use Only ( उ ३०१९) (दअचू पृ १२ ) अनशन के दो प्रकार हैं १ . इत्वरिक, २. मरण काल अथवा यावत्कथिक । इत्वरिक सावकांक्ष ( अनशन के पश्चात् भोजन की इच्छा से युक्त) और यावत्कथिक निरवकांक्ष ( भोजन की इच्छा से मुक्त ) होता है । २. इत्वरिक अनशन की परिभाषा इत्तरियं णाम परिमितकालियं, तं चउत्थाउ आरद्धं जाव छम्मासा | ( दजिचू पृ २१ ) www.jainelibrary.org
SR No.016048
Book TitleBhikshu Agam Visjay kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalprajna, Siddhpragna
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages804
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size18 MB
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