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________________ वन्दना का प्रयोजन और परिणाम ५७५ तब करे, जब वन्दनीय व्यक्ति प्रशांत हो, आसन पर बैठा हो, उपशान्त हो, उपस्थित हो— वन्दना करवाने की स्थिति में हो । १०. वंदना के विशेष प्रसंग उत्तमट्ठे • प्रतिक्रमण, स्वाध्याय और कायोत्सर्ग के समय । • आशातना - विराधना होने पर । पडिकमणे सज्झाए काउसग्गावराहपाहुणए । आलोयणसंवरणे य वंदणयं ॥ O ज्येष्ठ अतिथि साधु के आगमन पर । आलोचना, प्रत्याख्यान और अनशन के समय । - इन विशेष प्रसंगों में वंदना का विधान है । ११. वन्दना का प्रयोजन और परिणाम ० ( आवनि १२०० ) कातव्वं । णी इहलो गट्टताए वंदेज्जा, नो परलोगट्टताए, नो कित्तिवण्णसहसिलो गट्टताए नण्णत्थ निज्जरट्ठताए । विसेसओ नागोत्तमवताए अट्ठविहंपि माणं निहणिऊणं । ( आवचू २३९ ) सीसेण पदे पदे संवेगमावज्जंतेणं नीयागोत्तखवणट्टताए अगोत्तस्स य ठाणस्स फलं हितदए कातूण वंदणगं ( आवचू २ पृ ४९ ) व्यक्ति गुरुजनों को ऐहिक प्रयोजन के लिए वन्दना न करे, पारलौकिक प्रयोजन के लिए वन्दना न करे और न कीर्ति, वर्ण, शब्द और श्लोक की प्राप्ति के लिए वन्दना करे | वह केवल निर्जरा के लिए तथा विशेष रूप से आठ प्रकार के मद का परिहार कर नीच - गोत्र कर्म की क्षीणता के लिए वंदना करे । संवेग रस से परिपूर्ण हो गोत्रातीत अवस्था की प्राप्ति के लिए पुनः पुनः वन्दना करे । वंद एणं नीयागोय कम्मं खवेइ, उच्चगोयं निबंध | सोहग्गं चणं अपsिहयं आणाफलं निव्वत्तेइ, दाहिणभावं च णं जणयइ । ( उ २९।११) वंदना से जीव नीच कुल में उत्पन्न करने वाले कर्मों को क्षीण करता है, उच्च कुल में उत्पन्न करने वाले कर्म का अर्जन करता है। जिसकी आज्ञा को लोग शिरोधार्यं करें वैसा अबाधित सौभाग्य और जनता की अनुकूल भावना को प्राप्त करता है । Jain Education International वर्गणा विणओवयार माणस्स भंजणा पूयणा गुरुजणस्स । तित्थयराण य आणा सुअधम्माराहणाऽकिरिया ॥ ( आवनि १२१५ ) वन्दना की छह निष्पत्तियां१. विनय की आराधना २. अहंकार का नाश ४ अर्हत् आज्ञा का पालन ५. श्रुतधर्म की आराधना ३. गुरुजनों की पूजा ६. मोक्ष की प्राप्ति । fasaम्मं च पसंसा संविग्गजणंमि निज्जरट्ठाए । जे जे विरईठाणा ते ते उवबूहिया हुंति ॥ ( आवनि १९९४ ) शुद्ध साधु को वंदना करने और उसकी प्रशंसा करने से निर्जरा होती है । इससे विरतिस्थानों को प्रोत्साहन मिलता है । वर्गणा - सजातीय वस्तुसमूह | १. वर्गणा का अर्थ २. वर्गणा के भेदों का प्रयोजन कृविकर्ण का दुष्टांत ३. वर्गणा के प्रकार ४. द्रव्यवर्गणा • द्रव्यवर्गणा के प्रकार ५. द्रव्यवर्गणा : गुरुलघु और अगुरुलघु ६. अन्य द्रव्यवर्गणाएं ध्रुव अध्रुव आदि वर्गणाएं ७. अचित्तमहा स्कंध वर्गणा ८. क्षेत्रवर्गणा ९. कालवर्गणा १०. भाववर्गणा १. वर्गणा का अर्थ सजातीयवस्तुसमुदायो वर्गणा, समूहो वर्गः राशि: इति पर्यायाः । (विभामवृ १ पृ २७८) सजातीय वस्तुओं के समुदाय का नाम वर्गणा है । समूह, वर्ग और राशि इसके पर्याय हैं । २. वर्गणा के भेदों का प्रयोजन: कुविकर्ण का दृष्टांत कुइयण्ण गोविसे सोवलक्खणोवम्मओ विणेयाणं । दवावग्गणाहि पोग्गलकार्य पयंसेंति ।। For Private & Personal Use Only ( विभा ६३२) www.jainelibrary.org
SR No.016048
Book TitleBhikshu Agam Visjay kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalprajna, Siddhpragna
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages804
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size18 MB
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