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________________ ४५८ धान्यमानप्रमाण - दो असुति (एक पल का माप) की एक प्रसृति ( दो पल का माप), दो प्रसूति की एक सेतिका चार सेतिका का एक कुडव, चार कुडव का एक प्रस्थ, चार प्रस्थ का एक आढक, चार आढक का एक द्रोण, प्रमाण असृति प्रसृति सेतिका कुडव प्रस्थक आढक दो सौ छप्पन पल द्रोण (४ आढक ) एक हजार चौबीस पल जघन्य कुंभ (६० आढक) = पन्द्रह हजार तीन सौ साठ पल मध्यम कुंभ ( ८० आढक ) बीस हजार चार सौ अस्सी पल उत्कृष्ट कुम्भ - पच्चीस हजार छह सौ पल = (१०० आढक) वाह (८०० आढक) = एक पल = दो पल - = दो लाख चार हजार आठ सौ पल धन्नमाणप्यमाणेणं मुत्तोली- मुरव-इहर अलिंद ओचारसंसियाणं धन्नाणं धन्नमाणप्यमाणनिव्वित्तिलक्खणं भवइ । ( अनु ३७५ ) धान्यमान प्रमाण से मुक्तोली ( वह कोठी जो ऊपर-नीचे संकीर्ण और बीच में विशाल हो), मुरव (गाड़ी के ऊपर का ढक्कन), इडर ( ढकने का बड़ा पात्र), आलिन्दक (कुण्डा) और ओचार ( बड़ा कोठा) में रखे हुए धान्य का धान्यमान प्रमाण जाना जाता है । -चार पल - सोलह पल - चीसठ पल रसमान प्रमाण 1 रसमाणप्पमाणे धन्नमाणप्पमाणाओ चउभागविवढिए अभिवरसिहाजुत्ते रसमाणप्यमाणे विहिज्जइ तं जहा - चउसट्टिया ४, बत्तीसिया ८, सोलसिया १६, अट्टाभाइया ३२, उभाइया ६४, अद्धमाणी १२८, माणी २५६ । दो उसट्टियाओ बत्तीसिया दो बस्तीसियाओ अष्टभाविका चतुर्भागका अर्धमाणी माणी चतुःषष्टिका - ४ पल द्वात्रिंशिका ८ पल पोशिका Jain Education International = = = १६ पल ३२ पल ६४ पल = १२८ पल = २५६ पल = साठ आढक का एक जघन्य कुम्भ, अस्सी आढक का एक मध्यम कुम्भ, सौ आवक का एक उत्कृष्ट कुम्भ और आठ सौ आढक का एक वाह होता है। पार तोला आठ तोला सोलह तोला चौसठ तोला === = दो सौ छप्पन तोला (३३ सेर) एक हजार चौबीस तोला (१२ सेर) = चार हजार छियानवे तोला (१ मन ११ सेर) इकसठ हजार चार सौ चालीस तोला (१९ मन ८ सेर) इक्यासी हजार नौ सौ बीस तोला (२५ मन २४ सेर) = एक लाख दो हजार चार सौ तोला (३२ मन ) = आठ लाख उन्नीस हजार दो सौ तोला (२५६ मन ) सोलसिया, दो सोलसियाओ अटुभाइया, दो अद्रुभाइयाओ चउभाइया, दो उभाइयाओ अद्धमाणी दो अद्धमाणीओ माणी । ( अनु ३७६) रसमान प्रमाण - धान्यमान प्रमाण से चार भाग अधिक आभ्यन्तर शिखा से युक्त रसमान प्रमाण किया जाता है । जैसे चतुःषष्टिका, द्वात्रिंशिका, षोडशिका, अष्टभागिका, चतुर्भागिका, अर्धमाणी, माणी । चतुःषष्टिका के दो भाग करने से द्वात्रिंशिका, द्वात्रिंशिका के दो भाग करने से षोडशिका, षोडशिका के दो भाग भाग करने से अष्टभागिका, अष्टभागिका के दो भाग करने से चतुर्भागिका, चतुर्भागिका के दो भाग करने से अर्धमाणी और अर्धमाणी के दो भाग करने से माणी होती है। माणी का चौसठवां भाग माणी का बतीसवां भाग माणी का सौलहवां भाग माणी का आठवां भाग माणी का चौथा भाग माणी का आधा भाग = = रसमान प्रमाण १६ तोला ३२ तोला ६४ वोला १२० तोला (१ सेर) = २५६ तोला ( ३ सेर) ५१२ तोला ६ सेर) १०२४ तोला (१२ सेर) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016048
Book TitleBhikshu Agam Visjay kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalprajna, Siddhpragna
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages804
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size18 MB
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