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________________ 'चक्रवर्ती कहलाता है । छक्खंडभर हसामी" 1 ( आवनि ३९१ ) यह खण्ड वाले भरतक्षेत्र का अधिपति चक्रवर्ती २. चक्रवर्ती : एक परिचय पदमराया दहाहि भरहाहियो णरवरियो । ( आवचू १ पृ २०० ) होही सगरो मघवं सणकुमारो य रायसलो । संती कुंथू अ अरो होइ सुभूमो य कोरव्वं ॥ णमो अ महापठमो हरिसेणो चेव रायसलो । जयनामो अ नरवई बारसमो बंभदत्तो अ॥ ( आवनि ३७४,३७५ ) नगर जम्मण विणीअ उज्झा सावत्थी पंच हत्थिणपुरंमि । वाणारसि कंपिल्ले रायगिहे व कंपिल्ले ॥ ( आवनि ३९७ ) माता सुमंगला जसवई भद्दा सहदेवि अइर सिरि देवी । तारा जाला मेरा य बप्पगा तह य चूलणी अ ॥ ( आवनि ३९८ ) पिता उसमे सुमितविजए समुहविजए अ अस्ससेणे अ । तह बीससेण सूरे सुदंसणे कत्तविरिए अ ॥ पउमुत्तरे महाहरि विजए राया तहेव बंभे अ ।'' ( आवनि ३९९,४०० ) चक्रवर्ती नगर १. | भरत २. सगर विनीता ३. मघवा भद्रा अयोध्या श्रावस्ती ४. | सनत्कुमार | हस्तिनापुर | सहदेवी ५. | शान्ति | "" ६. कुन् अविरा श्री देवी ७. अर तारा ज्वाला Jain Education International 17 ८. सुभूम ९. | महापद्म | वाराणसी १०. | हरिषेण | कांपिल्य ११. जय | राजगृह १२. | ब्रह्मदत्त | कांपिल्य माता पिता सुमंगला | ऋषभ | यशस्वती | सुमित्रविजय | समुद्रविजय | T | अश्वसेन विश्वसेन सूर सुदर्शन कार्त्तवीर्य पद्मोत्तर | मेरा | वप्रा | चुलनी | ब्रह्म २५६ महाहरि | विजय राजा " "" 33 "" 11 "} गोत्र " वर्ण गोत्र काश्यप | ५०० "3 ४५० | ४२ 3 ४१८ ४० ३५ ३० २८ २० | १५ १२ अवगाहना पंचसय अपंचम बायालीसा य अद्धधणुअं च । इगयाल धणुस्सद्धं च चउथे पंचमे चता ॥ पणतीसा तीसा पुण अट्ठावीसा य वीस धर्णाणि । पण्णरस वारसेव य अपच्छिमो सत्त व धणूनि ॥ ( आवनि ३९२, ३९३) गति कासवगुत्ता सव्वे चउदसरवणाहिया समखाया ।..... ( आवनि ३९४ ) सव्वेऽबि एगवण्णा निम्मलकणगप्पभा मुणेयव्वा । ( आवनि ३९१ ) अटठेव गया मोक्खं सुभुमो बंभो अ सत्तमि पुढवि । मघवं सणकुमारी सणकुमारं गया कप्पं ॥ ( आवनि ४०१ ) आयुष्य चउरासीई बावतरी अ पुव्वाण समसहस्साई पंच य तिण्णि अ एगं च सयसहस्सा उ वासाणं ॥ पंचागउइ सहस्सा चउरासीईं अ अट्टमे सट्ठी । तीसा य दस य तिष्णि अ अपच्छिमे सत्तवाससया ॥ ( आवनि ३९५, ३९६ ) अवगाहना धनुष " 67 "" 11 " 11 33 21 31 31 For Private & Personal Use Only | वर्ण गति स्वर्ण | मोक्ष आयुष्य ८४ लाख पूर्व ७२ लाख पूर्व मोक्ष तीसरा देवलोक ५ लाख वर्ष "तीसरा देवलोक ३ लाख वर्ष | १ लाख वर्ष 33 12 " चक्रवर्ती एक परिचय 21 31 " " 11 मोक्ष मोक्ष | मोक्ष सातवीं नरक मोक्ष मोक्ष मोक्ष | सातवीं नरक ९५ हजार वर्ष ८४ हजार वर्ष ६० हजार वर्ष ३० हजार वर्ष १० हजार वर्ष ३ हजार वर्ष | ७०० वर्ष www.jainelibrary.org
SR No.016048
Book TitleBhikshu Agam Visjay kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalprajna, Siddhpragna
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages804
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size18 MB
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