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________________ उपधि १५० औधिक उपधि की संख्या उपधि --मुनि के उपयोग में आने वाले वस्त्र, पात्र पर्याय आदि आवश्यक उपकरण । उवही उवग्गहे संगहे य तह पग्गहुग्गहे चेव । भंडग उवगरणे या करणेवि य हुंति एगट्ठा ॥ १. उपधि का निर्वचन (ओनि ६६६) ० पर्याय उपधि, उपग्रह, संग्रह, प्रग्रह, अवग्रह, भंडक, ० प्रयोजन उपकरण, करण—ये एकार्थक शब्द हैं। २. उपधि के प्रकार प्रयोजन ० औधिक संजमनिमित्तं वा वत्थस्स गहणं कीरइ मा तस्स . औपग्रहिक अभावे अग्गिसेवणादिदोसा भविस्संति । पाताभावेऽवि ३. औधिक उपधि की संख्या संसत्तपरिसाडणादी दोसा भविस्संति । कम्बलं वासकप्पादी • जिनकल्पी की उपधि तं उदगादिरक्खणा घेप्पति। लज्जानिमित्तं चोलपट्टको ० स्थविरकल्पी की उपधि घेप्पति। (दजिचू पृ २२१) ० साध्वी की उपधि शीतकाल में शीत से पीड़ित होकर मुनि संयम के ४. उपधि का प्रमाण और प्रयोजन निमित्त अग्नि का सेवन न करे, इसलिए वस्त्र रखने का, ० रजोहरण पात्र के अभाव में संसक्त और परिशाटन दोष उत्पन्न ० मुखवस्त्रिका होते हैं, इसलिए पात्र रखने का, पानी आदि के जीवों की • कल्प (प्रच्छादक) हिंसा से बचने के लिए कम्बल (वर्षाकल्प) रखने का • चोलपट्ट तथा लज्जा के निमित्त 'चोलपट्टक' रखने का विधान ० संघाटी किया गया है। ० संस्तारक ० पात्र २. उपधि के प्रकार ० पात्र-बंध आदि ओहे उवग्गहमि य विहो उवही उ होइ नायव्वो। ५. सुलक्षण पात्र तथा अलक्षण पात्र एक्केक्कोवि य दुविहो गणणाए पमाणतो चेव । ६. औपग्रहिक उपधि (ओनि ६६७) ७. उपधि परिग्रह नहीं उपधि के दो प्रकार हैं८. एषणीय उपधि ग्रहण १. ओघ उपघि-सदा पास में रखी जाने वाली। * अनेषणीय वस्तु ग्रहण का दुष्परिणाम (द्र. एषणा) २. उपग्रह उपधि-प्रयोजन विशेष से ग्रहण की जाने ९. उपधि-परित्याग के परिणाम वाली। * उपधि-प्रतिलेखन विधि (द्र. प्रतिलेखना)। दोनों प्रकार की उपधि गणना और प्रमाण से दो* उपधि-संयम (द्र. संयम) | दो प्रकार की है। * उपधि और बोटिकमत __ (द्र. निह्नव) | ३. औधिक उपधि की संख्या जिणा बारसरूवाई, थेरा चउद्दसरूविणो । १. उपधि का निर्वचन अज्जाणं पन्नवीसं तु, अओ उड्ढं उवग्गहो । उपदधातीत्युपधिः । उप-सामीप्येन संयमं धारयति (ओनि ६७१) पोषयति चेत्यर्थः। (ओनिवृ प १२) जिनकल्पिक मुनि बारह, स्थविरकल्पिक मुनि चौदह जो संयम के धारण-पोषण में सहयोगी है, वह तथा साध्वी पचीस प्रकार की ओघ उपधि रख सकती उपधि है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016048
Book TitleBhikshu Agam Visjay kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalprajna, Siddhpragna
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages804
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size18 MB
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