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________________ सूरियाभ सुरियाम वयारकलियं करेंति, अप्पेगतिया देवा सूरियाभं कालागुरुपवरकुंदुरुक्कतुरुक्क धूव मघमघंतगंधुदुयाभिरामं करेंति या देवा सूरियाभं विमाणं सुगंधगंधियं गंधवट्टि - , ( ११२६ ) अभिधान राजेन्द्रः । व्वते जेणेव भदसालवणे तेणेव उवागच्छति सचतुरे सव्वपुष्फे सव्यमले सन्चोसहिसिद्धत्थए य गेरहंति गेरिहत्ता जेणेव गंदणवणे तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता सव्वतुरे ० जाव सव्वोस - |भूतं करेंति अप्पेगतिया देवा हिरणवासं वासंति सुवमवासं हिसिद्धत्थए य सरसगोसीसचंदणं गिरहंति गिरिहत्ता वासंति रययवासं वासंति वइरवासं वासंति पुष्कवासं० जेणेव सोमणसवणे तेणेव उवागच्छंति सव्वतुयरे ०जाव फलवासं० मल्लवासं० गंधवासं० चुसवासं० आभण - सयोस हिसिद्धत्वए य सरसगोसीसचंदणं च दिव्वं च वासं वासंति अप्पेगतिया देवा हिरणविहिं भाएंति, सुमखदामं दद्दरमलयसुगंधिए य गंधे गिरहंति गिरिहत्ता एवं सुवन्नविहिं भाएंति रयणविहिं पुष्फविहिं फलविहिं एग तो मिलायंत २ यित्ता ताए उक्किट्ठाए ०जाव जेणेव मल्लविहिं चुमविहिं वत्थविहिं गंधविहिं भाएंति, तत्थ - सोहम्मे कप्पे जेणेव सूरिया भे विमाणे जेणेव अभिसे- प्पेगतिया देवा आभरणविहिं भाएंति अप्पेगतियसमा जेणेव सूरियाभे देवे तेणेव उवागच्छंति उवा- या वातं वाइति ततं विततं घणं भुगच्छित्ता सूरियामं देवं करयपरिग्गाहियं सिरसावत्तं सिरं, अप्पेगइया देवा चउव्विहं गीयं गायंति, तं जहामत्थए अंजलि कट्टु जएणं विजएणं वद्धावितिं वद्धावित्ता उक्खित्तायं पायत्तायं मंदार्य रोइतावसाणं, अप्पेगतिया तं महत्थं महग्धं महरिहं विउलं इंदाभिसेयं उबट्टवेंति । देवा दुयं नट्टविहिं उपदंसिंति अप्पेगतिया बिलंबियनदृतए तं सूरियाभं देवं चत्तारि सामाणियसाहस्सी ओ विहिं उवदंसेंति अप्पंगतिया देवा दुतविलंचियं दृविहिं उवदति, एवं अप्पेगतिया अंचियं नट्टविहिं उवदंसेंति अप्पेगतिया देवा आरभडं भमोलं आरभडभसोलं उप्पयनिचयपमत्तं संकुचियपसारियं रियारियं भतसंभतणामं दिव्वं विहिं उवदति अप्पेगतिया देवा चउन्विहं - भिणयं अभियंति, तं जहा दिवंतियं पातियं सामंतोवशिवाइयं लोग अंतो मज्झावसाणियं अप्पेगतिया देवा वुकारेंति अप्पेगतिया देवा पीर्णेति अप्पेगतिया वार्सेति श्र प्पेगतिया हकारेंति अप्पेगतिया विर्णेति तडवेंति अप्पेगइया वग्गंति अप्फोडेंति अप्पेगतिया अफोर्डेति वति अप्पे ० तिवई छिंदंति अप्पेगतिया हयहेसियं करेंति, अप्पेगतिया हथियगुलगुलाइयं करेंति, अप्पेगतिया रहघणघ गमसीओ सपरिवारातो तिनि परिसाओ सत्त अशियाविणो ० जाव अनेवि बहवे सूरियाभविमाणवासिणो देवा य देवीओ य तेहिं साभाविएहि य वेउच्चि - एहि य वरकमलपड्डाणेहि य सुरभिवरवारिपडिपुन्नेहिं चंदणकयचच्चिएहिं आविद्धकंठेगुणेहिं पउमुप्पल पिहाणेहिं सुकुमालको मलकर यलपरिग्गहिएहिं श्रट्टमहस्सेणं सोव - न्नियाखं कलसाणं ०जाव अडसहस्सेणं भोमिज्जाणं कलसाणं सव्वोदएहिं सव्वमट्टियाहिं सव्वतुरेहिं ० जाव सव्योसहिसिद्धत्थ एहि य सब्बिड्डीए ०जाब वाइएणं महया २ इंदाभिसे अभिसिंचति, तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स महा २ इंदाभिसे वट्टमाणे अप्पेगतिया देवा मूरियाभं विमाणं बच्चोयगं नातिमट्टियं पविरलफुसियर य रेणुविणाइयं करेंति, अप्पेगतिया हयहेसियहत्थि गुलगुलांइयरखासणं दिव्वं सुरभिगंधोदगं वासं वासंति अप्पेगतिया देवा हयरयं नट्ठरयं भट्ठरयं उवसंतरयं पसंतरयं करेंति, गतिया देवा सूरियामं विमाणं श्रासियसंमजिओ वलित्तं सुइसंमट्ठरत्थंतरावणवीहियं करेंति, अपेगतिया देवा सूरिया विमाणं मंचाइमंचलिये करेंति अप्पेगया देवा सूरिया विमाणं गाणाविहरागोसियं भयपडागाइपडागमंडियं करेंति, अप्पेगतिया देवा सूरिया विमाणं लाउल्लोइयमहियं गोसीस सरसरत्तचंदणदद्दरदि पंगुलितलं करेंति अप्पेगतिया देवा सूरियाभं विमाणं उवचियचंद कलसं चंदणघडमुकयतारणपडिदुवारदेस - भागं करेंति, अप्पेगतिया देवा सूरिया विमाणं अस तोसत्तविउलवट्टबग्वारियमल्लदाम कलावं करेंति अप्पेतिया देवा सूरिया विमाणुं पंचम्सुरभिमुकपुष्फ पुंजो २८३ Jain Education International " For Private घणघणा इयं करेंति, अप्पेगतिया उच्छोलेंति अप्पेगतिया पच्छोलेंति अप्पेगतिया उकिट्ठियं करेंति अप्पे० उच्छोलेंति पच्छोलेंति उक्कि० अप्पेगतिया तिन्निवि,अप्पेगतिया उवयंति अप्पेगतिया उबवायंति अप्पेगतिया परित्रयंति अप्पे या तिनिवि,अप्पेगइया सीहनायंति अप्पेगतिया दद्दरयं करेंति अप्पेगतिया भूमिचवेडं दलयंति अप्पे तिन्निवि, अप्पेगतिया गर्जति अप्पेगतिया विज्जुयायंति अप्पेगतिया वासं वासंति अप्पेगतिया तिनि वि करेंति, आप्पेगतिया जलंति अप्पेगतिया तयंति अप्पेगतिया पतवेंति अप्पेगतिया तिनि वि,अप्पेगतिया हकारेंति अप्पेगतिया धुक्कारेंति - प्पेगतिया धक्कारेंति, अगतिया साईं साई नामाई सार्हेति अप्पेगतिया चत्तारि वि अप्पेगइया देवा देवसभिवार्य कति अप्पेगतिया देवखयं करेंति, श्रप्पेगइया देबुक Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016047
Book TitleAbhidhan Rajendra kosha Part 7
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendrasuri
PublisherAbhidhan Rajendra Kosh Prakashan Sanstha
Publication Year1986
Total Pages1280
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationDictionary, Dictionary, & agam_dictionary
File Size46 MB
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