SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 87
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन आगम : वनस्पति कोश New गुडकामाई। म०-कानोणी। गु०-पीलुडी। फा०- (मोमोर्डिका चेरण्टिआ)। रूबाहतुर्बुक । अ०-इनबुस्सालव । अंo-Garden Night Shade (गोर्डेन नाइटशेड)। ले०-Solanum nigrum linn (सोलॅनम् नाइग्रम् लिन०)। उत्पत्ति स्थान-यह प्रायः सब प्रान्तों में एवं ८००० फीट तक पश्चिम हिमालय में उत्पन्न होती है। विवरण-इसका क्षुप १ से १.५ हाथ तक ऊंचा होता है और शाखायें सघन होती हैं। यह गर्मी में नष्ट हो जाता है और वर्षा के अन्त में उत्पन्न हो जाड़े में खूब हराभरा दिखलाई पड़ता है। इसके पत्ते अखण्ड लहरदार या कभी-कभी दन्तुर या खण्डित, लट्वाकार, प्रासवत् लट्वाकार या आयताकार ४४१.७ इंच तक बड़े और उनका फलक प्रायः और पत्रकोण से हटकर निकले हुए पुष्पदंड पर समस्थ मूर्धज क्रम में निकले रहते हैं। फल गोल और पकने पर काले हो जाते हैं। कभी-कभी लाल या पीले भी होते हैं। (भाव० नि० गुडूच्यादिवर्ग पृ० ४३८) फूल के समान सफेद और पत्रकोण से हटकर निकले हए पुष्प दंड पर गच्छाकार एवं दीर्घ वन्त पर उत्पत्ति स्थान-प्रायः सब प्रान्तों में इसे रोपण अधोमुख लवित समस्थ मूर्धज क्रम में निकले रहते हैं। करते हैं। (धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग ५ पृ० ३४२) विवरण-इसकी लता मृदुरोमश होती है। पत्ते १ से ५ इंच के घेरे में गोलाकार, गहरे कटे किनारे वाले कारियल्लई एवं ५ से ७ भागों में विभक्त रहते हैं। फूल चमकीले पीले कारियल्लई ( ) करेला प० १/४०/२ रंग के आते हैं। फल १ से ५ इंच लम्बे बीच में मोटे तथा विमर्श-पाइअसद्दमहण्णव में कारियल्लई, कारिल्ली दोनों तरफ नोकीले त्रिकोणाकृति उभारों के कारण ऊबड़ और कारेल्लय ये देशीशब्द हैं। इनका अर्थ करेला का खाबड़, हरे किन्तु पकने पर पीले रंग के हो जाते हैं। बीज चिपटे होते हैं। गाछ किया है। निघंटुओं में कारवल्ली, कारवेल्ल और कारवेल्ली आदि शब्द मिलते हैं। इन सब का अर्थ करेला (भाव०नि० शाकवर्ग पृ०६८४) है। प्रस्तुत प्रकरण में यह वल्लीवर्ग के अन्तर्गत है। करेला की लता होती है। कारिया अन्य भाषाओं में नाम कारिया (कारिका) छोटीकटेरी, कण्टकारी। हि०-करेला, करैला, करइला| बं०-करोला प०१/३७/५ बडामसिया, उच्छे। म०-कारलें, कारली। कारिका के पर्यायवाची नामगु०-कारेला, करेलु। क०-हागल। ते०-काकर। कारी तु कारिका कार्या, गिरिजा कटुपत्रिका।। ता०-पागल। फा०-कारेलाइ। अ०-किस्सा तत्रैता कण्टकारी स्यादन्या त्वाकर्षकारिका ।।६४ । उल्हिमार, कसायुल हिमार। अंo-Carilla Fruit कारी, कारिका, का- गिरिजा तथा कटुपत्रिका (कॅरिल्ला फूट)। ले०-Momordica Charantia linn ये सब कारी के नाम हैं। इनमें से एक कण्टकारी है और Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy