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________________ 64 काकोदुम्बरिका के पर्यायवाची नाम काकोदुम्बरिका फल्गु र्मलयूर्जघनेफला । काकोदुम्बरिका, फल्गु, मलयू, जघनेफला- ये कठूमर के संस्कृत नाम हैं । (भाव०नि० वटादिवर्ग० पृ० ५१७) अन्य भाषाओं में नाम हि० - कठूमर, कठगूलर | बं० - काठउंमुर । म० - भुई० अम्बर, बोखाड़ा । गु० - टेड उंबरो । ते०- ब्रह्ममेडिचेट्टु । ता० - पेअट्टिस । ले०-Ficus hispida Linn (फाइकस हिस्पिडा) Fam Moraceae (मोरेसी) । उत्पत्ति स्थान - कठूमर भारतवर्ष के प्रायः सब प्रान्तों में पाया जाता है। यह नदी नालों के किनारे अधिकतर होता है। विवरण- इसका वृक्ष मध्यमाकार का शीघ्र बढ़ने वाला होता है । किन्तु कहीं-कहीं पथरीली भूमिका का वृक्ष बड़ा झाड़ सा दिखाई पड़ता है। इसकी कोमल टहनियों पर सूक्ष्म रोवें होते हैं। पत्ते विपरीत लंबे, किंचित् अंडाकार, जड की ओर गोलाकार, नोकदार और दन्तूर होते हैं। आकार में वे एक समान नहीं होते, बल्कि छोटे बड़े हुआ करते हैं। वे साधारणतः ४ इंच तक चौड़े तथा ६ इंच लम्बे होते हैं और पत्र दण्ड १.५ इंच तक लंबा होता है। नई शाखाओं के पत्ते १२ इंच तक लंबे एवं सूक्ष्म रोवेदार होते हैं। स्पर्श में वे रूक्षे और खुरदरे होते हैं । फल हलके हीरे या पीत हरिताभ गूलर के समान लगते । इस कारण इसको उदुम्बरफल तथा जंगली गूलर कहते हैं। देखने में फलों का आकार अंजीर के समान होता है । इस कारण इसे जंगली अंजीर भी कहते हैं । फलों के ऊपर सूक्ष्म रोवें होते हैं। इसकी छाल एवं फल का उपयोग किया जाता है। (भाव०नि० पृ० ५१७) काउंबरिय काउंबरिय (काकोदुम्बरिका) कठूमर भ० २२/३ देखें काउंबरि शब्द | Jain Education International जैन आगम वनस्पति कोश काउंबरीय काउंबरीय (काकोदुम्बरिका) कठूमर जीवा० १/७२ देखें काउंबरि शब्द | काओली काओली (काकोली) काकोली भ० २३/८ प० १/४८/५ विर्मश - प्रस्तुत प्रकरण में काओली शब्द कंदवर्ग के शब्दों के साथ है। काकोली का कंद होता है। काकोली के पर्यायवाची नाम काकोली मधुरा शुक्ला, क्षीरा ध्वांक्षोलिका स्मृता । वयस्था स्वादुमांसी च, वायसोली च कर्णिका ।। १३२ ।। काकोली, मधुरा, शुक्ला, क्षीरा, ध्वांक्षोलिका, वयस्था स्वादुमांसी, वायसोली, कर्णिका ये काकोली के पर्यायवाची नाम हैं । ( धन्व० नि०१ ।१३२ पृ० ५५) अन्य भाषाओं में नाम हि० - काकोली, काककोला । बं०- काकल, लवंगलता । ले० - Luvunga Scandens ( लवंग स्केडन्स) । For Private & Personal Use Only 687. Roscoea purpurea Royle उत्पत्ति स्थान - हिमालय पर मोरंगादि प्रदेशों में www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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