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________________ जैन आगम : वनस्पति कोश और सूखने पर काले रंग के होकर फांके पृथक्-पृथक् हो जाती है और साथ ही गुठली भी फट जाती है। उनसे त्रिकोणाकार छोटे-छोटे बीज निकलते हैं। (भाव० नि० हरीतक्यादि वर्ग पृ० ११ ) कच्छुल प० १/३८/२ कच्छुल (कच्छुरा) महाबला कच्छुरा । स्त्री । कपिकच्छौ । रक्त दुरालभायाम् । कर्पूरशट्याम् आम्रहरिद्रायाम्। महाबलायाम् । (वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० १८० ) विमर्श - प्रस्तुत प्रकरण में कच्छुल शब्द गुल्मवर्ग के अन्तर्गत है । महाबला के क्षुप होते हैं इसलिए यहां महाबला अर्थ ग्रहण कर रहे हैं। महाबला के पर्यायवाची नाम महाबला पीतपुष्पा, सहदेवी च सा स्मृता । महाबला, पीतपुष्पा और सहदेवी ये सब महाबला के पर्यायवाची नाम हैं। (भाव० नि० गुडूच्यादिवर्ग पृ० ३६६ ) अन्य भाषाओं में नाम हि० - सहदेई, सहदेया, पीतबला । बं० - पीतबेडेला । म०चिकणी, सहदेवी, तुपकडी । गु० -खेतराऊ बल, खेतराऊबल दाणा | पं० - सहदेवि । ते० - मयिलमाणिक्यम्, ता० - मयिरमाणि क्कम्।ले०-Sida Rhombifolia Limn (सिडा राम्बिफोलिया लिन० ) Fam. Malvaceae (माल्वेसी)। उत्पत्ति स्थान- यह क्षुप जाति की वनौषधि प्रायः सब प्रान्तों में कहीं न कहीं पाई जाती है। यह ऊसर भूमि में अधिक होती है। विवरण- इसका क्षुप १ से ४ फीट ऊंचा, झाडदार और सीधा होता है। पत्ते २ से ३ इंच लंबे अभिलट्वाकार या तिर्यगायताकार तथा दन्तूर होते हैं। फूल पीले रंग के बरियारे फूलों के आकार वाले किन्तु उनसे कुछ बड़े होते हैं। फल बरियारे के ही समान होते हैं। (भाव० नि० गुडूच्यादि वर्ग पृ० ३६९) कटाह कडाह (कटाह) कटाह Jain Education International प०१/४८/४९ विमर्श - सोढल निघंटु में कटाह के गुण धर्म मिलते हैं। पर इसके पर्यायवाची नाम, विवरण आदि विशेषवर्णन कहीं नहीं मिला है। 45 सुरभिः श्वासकासघ्नो रूक्षोष्णो दीपनो लघुः । कटाहवल्कलगुंदौ च ग्राहिणौ शीतलौ गुरुः ।। ५८९ ॥ (सोढल निघंटु श्लोक ५८९ पृ० १४२) कडुयतुंबग कडुयतुंबग (कटुतुम्बक) कडवी लौकी । उत्त०३४/१० कटुतुम्बी के पर्यायवाची नाम तुम्बी लंबा पिण्डफला, राजन्या प्रवरा परा ॥ कटुतुम्बी तिक्तबीजा, तिक्तालाबु र्महाफला ५४१ राजपुत्री पिण्डफला, दुग्धिनीका च दुग्धिका ॥ तुम्बी, लम्बा, पिण्डफला, राजन्या, प्रवरा, कटुतुम्बी तिक्तबीजा, तिक्तालाबु, महाफला, राजपुत्री, पिण्डफला दुग्धनका और दुग्धिका ये पर्याय कटुतुम्बी के हैं । (कैयदेव नि० औषधिवर्ग श्लोक ५४१, ५४२) For Private & Personal Use Only कड़वी तुम्बी के लता, पत्र, पुष्पादि सब अलाबू के समान होते हैं। फल बहुत कडवा होता है। यह इसका वन्य भेद है। (भाव० नि० शाकवर्ग० पृ० ६८२ ) www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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