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________________ जैन आगम : वनस्पति कोश -- - Malai H Bek (म्युक्युना पुरिएन्स बेक्) Fam. Leguminosae अप्फोता (लेगुमिनोसी अप्फोता (आस्फोता) अनन्तमूल, श्वेत सारिवा। जीवा० ३।२९६ आस्फोता के पर्यायवाची नाम - SHIRTH धवला शारिवा गोपा, गोपकन्या कृशोदरी । स्फोटा श्यामा गोपवल्ली, लताऽऽस्फोता च चंदना ॥२३७॥ धवलशारिवा, गोपा, गोपकन्या, कृशोदरी, स्फोटा, श्यामा, गोपवल्ली, लता, आस्फोता और चंदना ये नाम श्वेत पत्र, बीफली सारिवा के हैं। पत्र सीस सारिवा के हैं। (भाव० नि० गुडूच्यादिवर्ग पृ० ४२७) अन्य भाषाओं में नाम - हि०-अनन्तमूल,कपूरी,सालसा।बं०-अनन्तमूल।म०उपलसर, उपलसरी। गु०-उपलसरी, कागडियों, कुंढेर, कपूरीमधुरी।ते०-पालसुगन्धी। ता०-नन्नारी।क०-नमडबेरु। अ०-Indian Sarasaparilla (इण्डियन सारसापरिला)। INDEE ले०-Hemidesmus IndicusR.Br. (हेमीडेस्मस्इण्डिकस्) उत्पत्ति स्थान-यह भारतवर्ष के सभी मैदानी भागों में Fam. Asclepiadaceae (एस्कलेपिएडेसी)। एवं लंका तथा वर्मा में पाया जाता है। यह सभी उष्ण प्रदेशों अनन्तमूलक में होता है एवं इसकी खेती भी की जाती है। विवरण-इसकी लता पतली चक्रारोही, एक वर्षायु तथा चौमासे में अधिक होती है। पत्ते त्रिपत्रक एवं २.५ से ५.५ इंच लम्बे पर्णवृन्त से युक्त होते हैं। पत्रक ३ से ६ इंच लम्ने पार्श्वपत्रक किञ्चित् हृद्वत् और लट्वाकार एवं अग्यपत्रक तिर्यगायताकार, पतले तथा ऊपर चिकने किन्तु अधरतल पर तलशयी रोमों से युक्त होते हैं। पुष्प नीलारुण, १.५ इंच तक लम्बे, सघन,लटकी हुई और ६ से १२ इंच लम्बी मंजरियों में आते हैं। फली २ से ३ इंच लम्बी, १/२ इंच चौडी, दोनों अग्रों पर विपरीत दिशाओं में टेढी, कुछ फूल सी एवं उत्पत्ति स्थान-यह इस देश के सब प्रान्तों में विशेषतः लम्बाई में धारियों से युक्त होती है। यह भूरे रंग के करीब १ बिहार, बंगाल, सुन्दरवन, पश्चिमी घाट, मध्य प्रदेश, दक्षिण इंच लम्बे सघन दृढ रोमों से ढकी रहती है। ये रोम शरीर में एवं लंका में पाई जाती है। लगाने से अत्यन्त खुजली उत्पन्न होकर दाह तथा सूजन उत्पन्न होती है। बीज प्रत्येक फली में ५ से ६ काले चमकीले तथा विवरण-इसकी लता बहुवर्षायु पतली फैलने वाली या अन्तर्भित्ति के पतले आवरण में ढके रहते हैं। इसकी तरकारी लपेट कर चढ़ने वाली गुल्म जातीय होती है। मूल स्तंभ बनती है किन्तु सर्वप्रिय नहीं होती। काष्ठमय होता है। काण्ड पतला, गोल, चिकना या सूक्ष्म (भाव० नि० गुडूच्यादिवर्ग० पृ० ३५७) रोमयुक्त लम्बाई में सूक्ष्म धारियों से युक्त एवं पर्व पर मोटा होता है। पत्र विपरीत परन्तु प्रायः दूर-दूर विभिन्न आकार के दीर्घवृत्त आयताकार से लेकर रेखाकार, मालाकार २ से ४ इंच Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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