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________________ जैन आगम वनस्पति कोश विशेषतः दक्षिण के पहाड़ी प्रदेशों में तथा बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिमोत्तर प्रदेश, पंजाब, सिक्किम, भूटान आदि में अधिक होता है। विशेषतः ग्रामों की बाड़ों पर, बागों की चहार दीवारों पर सुरक्षार्थ इसे लगाते हैं। विवरण- इसके १० से १५ फुट ऊंचे काण्ड और शाखायें गोलाकार, पीली, गूदेदार, कण्टकित (काण्ड से लेकर शाखाओं के अग्रभाग तक स्थान-स्थान पर अंग्रेजी अक्षर बी के आकार के) कांटे चौथाई से आध इंच तक लम्बे जोड़े में होते हैं। पत्र शाखाओं के अंत में चारों ओर से पत्ते गुच्छाकार लगे रहते हैं। पत्र ६ से १२ इंच लम्बे, स्थूलमांसल, मोटे, अग्रभाग में कुछ गोल होते हैं । बसन्त ऋतु में ये पत्र आते हैं तथा शीत या ग्रीष्म काल में झड़ जाते हैं। इसकी शाखा या पत्रों को तोड़ने से दूध निकलता है। इसके कांड पर खड़ी या पेंचदार घूमी हुई रेखाओं पर २-२ संयुक्त कांटों से युक्त उन्नत स्थान होता है । पुष्प लाल रंग के या पीताभ श्वेत या हरिताभ पीतवर्ण के कलंगी पर विशेषतः वर्षा ऋतु में लगते हैं। बीजकोष या फल १/२ इंच तक चौड़ा होता है। इसकी शाखा तोड़कर आर्द्रभूमि में लगा देने से उसका क्षुप तैयार हो जाता है। बीज चपटे व रोमश होते हैं। (धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग ३ पृ०३६७) DOO सिंगवेर सिंगवेर (शृङ्गवेर) अदरख, आदी भ०७/६६ : २३ / १ जीवा ०१ / ७३ प०१ / ४८ / २ उत्त०३६ / ६६ श्रृङ्गवेर के पर्यायवाची नाम आर्द्रकं शृङ्गवेरं स्यात्, कटुभद्रं तथार्दिका । आर्द्रक, श्रृंगवेर, कटुभद्र और आर्द्रिका ये संस्कृत नाम अदरख के हैं । (भाव० नि० हरीतक्यादिवर्ग० पृ०१४) अन्य भाषाओं में नाम हि० - अदरख, आदी । बं० - आदा । पं० - अदरक, अद, अद्रक, आदा । म० - आले । ते० - अल्ल, अल्लमू । ब्रह्मी० - ख्येन, सेङ्ग, गिनसिन | गु० - आदु । क० - अल्ल, असिशोंठि, हसीसुण्ठी । मा० - आंदो । ता० - शुक्क, इंजि । मल० - इवी । सिंहली - अमुइंगुरु | फा० - अंजीबीलेतर । अ० - जंजबीले रतब। अंo - Ginger Jain Education International root (जिअररूट) | लेo - Zingiber Officinale (जिंजिबेर ऑफिसिनेल) । 287 उत्पत्ति स्थान - भारतवर्ष के प्रायः सब प्रान्तों में अदरख की खेती की जाती है। विवरण - अदरख का पौध प्रायः एक हाथ ऊंचा होता है। इसके पत्ते वांस के पत्तों के समान पर उनसे कुछ छोटे होते हैं। इसकी जड़ में जो कंद होता है उसी को अदरख कहते हैं। इसका फूल फल बहुत कम देखने में आता है। किसी किसी पुराने पौधे पर फूल आते हैं। फूलों का रंग जामुनी रंग का होता है। अदरख रेतीली भूमि में गोबर की खाद डाली हुई दुमट मिट्टी में अधिक उत्पन्न होती है। इसके लिए पर्याप्त वर्षा की आवश्यकता रहती है। (भाव० नि० हरीतक्यादिवर्ग० पृ०१४, १५) सिंगमाला सिंगमाला ( ) जीवा०३ / ५८२ जं०२/८ विमर्श - उपलब्ध निघंटुओं और शब्दकोशों में सिंगमाला शब्द नहीं मिला है। .... सिंदुवार सिंदुवार (सिन्दुवार) श्वेत पुष्पवाला सम्भालू रा०२६ जीवा०३ / २८२ ५०१ / ३७ / ४ : १७ / १२८ विमर्श - प्रस्तुत प्रकरण में सिंदुवार शब्द गुच्छवर्ग के अन्तर्गत है । सिन्दुवार के पर्यायवाची नाम सिन्दुवारः श्वेतपुष्पः, सिन्दुकः सिन्दुवारकः ।। सूरसाधनको नेता, सिद्धकश्चार्थसिद्धकः । ।१५१ ।। For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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