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________________ जैन आगम : वनस्पति कोश 281 JAN hapan गिनाभारा, पाचे? कर्णाo-लोध। तo-तेल लोदुग श्यामम् ।क्ली० । मरिचे। सिन्धुलवणे । श्यामाके। चेटु । आसामी०-मोमरोत्ती। अ०-मूगामा । अंo-Lodh वृद्धदारके कोकिले। धुस्तूरवृक्षे। पीलुवृक्षे। tree Bark (लोध ट्री बाक) ले०-Symplocos Racemosa दमनकवृक्षे। गंधतृणे। (वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० ७८६) Rosele (सिम्प्लोकोस रेसिमोसा)। __ उत्पत्ति स्थान-लोघ्र के वृक्ष ब्रह्मा, आसाम, बिहार, अयोध्या के जंगल, मालाबार, उत्तरपूर्वी भारत में २५०० फीट की ऊंचाई पर तेराई के कुमाऊं तक, छोटा नागपुर और हिमालय तथा खासिया पहाड़ियों के मैदान और नीचे के स्थानों में पैदा होते हैं। - विवरण-यह हरीतक्यादि वर्ग और लोध्रादि कुल का एक छोटी जाति का हमेशा हरा रहने वाला वृक्ष होता है। इसके पत्ते लंबे, गोल, नोंकदार चिकने १.७५ से ५ इंच तक लंबे कंगूरेदार होते हैं । पत्रदण्ड १/२ इंची। इस वृक्ष की छाल बहुत मोटी और रेशे वाली होती है । पुष्पदंड फलट २ से ४ इंची। फूल पीले रंग के सुगंधित और सुंदर होते हैं। पुष्पत्वक १/६ इंची। फूल में पुंकेसर करीब १०० होते हैं। गर्भाशय में ३ विभाग लोमयुक्त होते हैं। फल आधा इंच लंबा, १/८ इंच चौड़ा, शंकु के आकार का होता है। फल पकने पर बैंगनी रंग का होता है। इस फल के अंदर . एक कठोर गुठली रहती है। उस गुठली में दो-दो बीज होते हैं। इसकी छाल गेरुए रंग की और बहुत मुलायम होती है। इसकी छाल और पत्तों से रंग निकाला जाता है। इसकी छाल ऊपर से सफेद तुरन्त टूट जाय ऐसी विमर्श-साम शब्द के ऊपर ६ अर्थ बतलाये गये और ऊपर खड़े चीरे पड़े हुए तोड़ने से अन्दर से सहज हैं। प्रस्तुत प्रकरण में साम शब्द गुच्छ वर्ग के अन्तर्गत लाल रंग की और खुशबू वाली होती है। फूलने फलने है। इसलिए यहां मरिच अर्थ ग्रहण कर रहे हैं क्योंकि का समय-नवम्बर से फरवरी तक फूल आते हैं और मरिच के फल गुच्छों में लगते हैं। मार्च से जून तक फल आते हैं। श्याम के पर्यायवाची नाम(धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग ६ पृ० १६८) मरिचं पलितं श्याम, कोलं वल्लीजमूषणम्। यवनेष्टं वृत्तफलं, शाकाङ्गं धर्मपत्तनम् ।।३०।। सहस्सपत्त कटुकञ्च शिरोवृत्तं, वीरं कफविरोधि च। रूक्षं सर्वहितं कृष्णं सप्तभूख्यं निरूपितम्।।३१।। सहस्सपत्त (सहस्रपत्र) हजार पुष्प दलों वाला मरिच, पलित, श्याम, कोल, वल्लीज, ऊषण, कमल। जीवा० ३/२८६, २६१ प० १/४६ यवनेष्ट, वृत्तफल, शाकाङ्ग, धर्मपत्तन, कटुक, शिरोवृत्त, वीर, कफविरोधि, रूक्ष, सर्वहित तथा कृष्ण ये सब मरिच साम के सत्रह नाम हैं। (राज०नि०६/३०, ३१ पृ० १४०) साम (श्याम) मरिच प० १/३७/४ अन्य भाषाओं में नाम मरिच, मिरच, गोलमरिच, काली मरिच, दक्षिणी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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