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________________ जैन आगम : वनस्पति कोश 279 तक एक साथ रहते हैं, जिनमें प्रत्येक ४ से ८ इंच लंबा ता०-कडुगु ।फा०-सर्षक,सरशफ,सिपन्दान |अ०-उर्फे, और ३.५ इंच मोटा लट्वाकार होता है। बीजवाहक पत्रों अबीयद, खर्दले, अवयज़ हुर्फ। अ०-Yellow Sarson का अग्र मुड़ा हुआ मोटा, प्रायः एक तीक्ष्ण काले नोक (यलो सरसों) Indian Colza (इन्डियन कोलझा) और पृष्ठ पर ४ से ५ कोणों से युक्त होता है। चैत्र वैशाख ले०-Brassica Campestris Var. Sarson Prain (ब्रासिका में फल फट जाते हैं जिनमें से बीज निकलते हैं। तथा केम्पेसट्रिसबेराइटीसरसों) Fam.Cruciferae (क्रूसी फेरी)। फल वृक्ष पर ही लगे रहते हैं। बीज १/२ इंच से कुछ उत्पत्ति स्थान-इस देश के प्रायः सब प्रान्तों में कम लंबा, चिपटा, पंख युक्त और ऊपर से भालाकार इसकी खेती की जाती है। बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश होता है। एवं पंजाब में यह अधिक होती है। (भाव०नि० कर्पूरादि वर्ग पृ० १६८) विवरण-यह धान्यवर्ग और राजिका कल का क्षप है। मूल वर्षायु, पतला। तना खड़ा, शाखायुक्त १ से ३ सरलवण फीट (कभी ६ फीट तक) ऊंचा। पान तना के प्राथमिक सरलवण (सरलवन) चीड़ वृक्षों का वन हो, वे बड़े वृन्त युक्त फिर आने वाले कम वृन्त युक्त, न्यूनाधिक विभागवाले । पुष्प बड़े तेजस्वी पीले । पुष्प वृन्त जीवा०३/५८१ जं०२/६ पौण इंच । फली १.५ से ३ इंच लंबी सीधी। बीज छोटे, देखें सरल शब्द। चिकने, हल्के या गहरे रंग के । फूलने-फलने का समय माघ से फाल्गुन। सरिसव सरसों पीली, हल्की पीली (सफेद), काली पीली सरिसव (सर्षप) सरसों भ० २१/१६ प० १/४५/२ (काली) एवं छोटे बड़े बीज वाली कितनी जाति की होती (धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग ६ पृ० ३०६) सरसों. . सल्लई सल्लई (शल्लकी) सलइ भ० २२/२ पृ० १/३५/१ शल्लकी के पर्यायवाची नाम शल्लकी गजभक्ष्या च, सुवहा सुरभी रसा। महेरुणा कुन्दुरुकी, वल्लकी च बहुस्रवा।।२२।। शल्लकी, गजभक्ष्या, सुवहा, सुरभि, रसा, महेरुणा, कुन्दुरुकी, वल्लकी और बहुसवा ये सल्लई के संस्कृत नाम (भाव०नि० वटादिवर्ग० पृ० ५२१) अन्य भाषाओं में नाम हि०-सालई, सलई। बं०-सलै। म०-सालई वृक्ष । गु०-शालेडु, धूपडो, सालेडा। कुमायु-अदुंकु । गोंड-सल्ल। सन्ताल०-सालगा। क०-मादिमर। ता०-कुंदुरुकम्। मा०-सेलो। ते०-परंगिसाम्राणि । ले०-Boswellia serrata Roxb (वॉस् वेलिया सेरेटा) Fam. Burseraceae (वर्सेरसी)। सर्षप के पर्यायवाची नाम सर्षपः कटुकः स्नेह, स्तन्तुभव कदम्बकः।। सर्षप, कटुक, स्नेह, तन्तुभ, कदम्बक ये सब सरसों के संस्कृत नाम हैं।(भाव० नि० धान्यवर्ग० पृ० ६५४) अन्य भाषाओं में नाम हि०-सरसों, सरिसो, सौ। बं०-सरीसा। म०-शिरशी । गु०-शरशव । क०-सासवे | तेo-आवालु। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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