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________________ जैन आगम वनस्पति कोश महाजातिः । स्त्री. वासन्ती पुष्पलतायाम् (वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० (७६६) विमर्श - प्रज्ञापना १/३८/३ में महाजइ शब्दगुल्मवर्ग के अन्तर्गत है । वासंती का गुल्म होता है। महाजाति के पर्यायवाची नाम वासन्ती प्रहसन्ती वसन्तजा माधवी महाजातिः । । शीतसहा मधुबहला, वसन्तदूती च वसुनाम्नी ।। ८६ ।। वासन्ती, प्रहसन्ती, वसन्तजा, माधवी, महाजाति शीतसहा, मधुबहला तथा वसन्तदूती ये सब वासंती (नेवारी) के आठ नाम हैं। (राज० नि० १० / ५६ पृ० ३१५) अन्य भाषाओं में नाम 1 हि० - नेवारी, वासंती । बं० - नेपाली, नेयोचार गु० - वटमोगरा । क० - बिरवन्तिगे । म० - विरवन्ति । ले०–Exora Paruiflora (इक्सौरा पार्विफ्लोरा) । देखें वासंती शब्द | ...... महाजाइगुम्म महाजाइगुम्म ( महाजातिगुल्म) वासंती पुष्पलता का गुल्म देखें महाजाइ शब्द | जीवा० ३ / ५८० जं० २/१० D... महापोंडरीय महापोंडरीय (महापुण्डरीक) श्वेतपद्म Jain Education International जीवा ० ३ / २६१ ० १/४६ महापद्मम् क्ली० । श्वेतपद्मे, पुण्डरीके ) (वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० ७६८) विमर्श - पुण्डरीक नाम कमल का है और पद्म नाम भी कमल का है । वानस्पतिककोशों में महापोंडरीय शब्द नहीं मिला है। महापद्म शब्द मिलता है इसलिए उसका अर्थबोध यहां दिया जा रहा है। देखें पुण्डरीक शब्द | महित्थ प० १/३७/४ महित्थ ( दधित्थ) कैथ विमर्श - आयुर्वेद के निघंटु तथा कोषों में महित्थ या मधित्थ शब्द नहीं मिला है । दधित्थ शब्द मिलता है। केवल आदि का म शब्द का 'द' रूप में परिवर्तन हुआ हैं । पलिमंथगशब्द के आदि प का ह के रूप में परिवर्तन होकर संस्कृत का हरिमंथक शब्द बना है । भमास शब्द के आदि भ का ध के रूप में परिवर्तन हुआ है। वैसे ही यहां महित्थ शब्द के आदि म का द के रूप में परिवर्तन स्वीकार कर रहे हैं। दधित्थः पुः । कपित्थवृक्षे | देखें कविट्ठ शब्द | महु (मधु ) जलमहुआ देखें मधु शब्द | DOO (वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० ५२६) महु महुरतण महुरतण (मधुरतृण) मज्जरतृण 227 अन्य भाषाओं में नाम म० - पवना । क० For Private & Personal Use Only भ० २१/१६ प० १/४२/२ मधुरः । पुं । मज्जरतृणे । (वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० ७७८) विमर्श - महुर शब्दके साथ तण शब्द है जो तृण का वाचक है। कोष में मधुर शब्द मज्जरतृण का अर्थ बोध देता है इसलिए यहां मज्जरतृण का अर्थ ग्रहण किया जा रहा मधुर के पर्यायवाची नाम मज्जरः पवनः प्रोक्तः, सुतृणः स्निग्धपत्रकः । मृदुग्रन्थिश्च मधुरो, धेनुदुग्धकरश्च सः ।।१३३ ।। मज्जर, पवन, सुतृण, स्निग्धपत्रक, मृदुग्रन्थि, मधुर और धेनुदुग्धकर ये मज्जर के पर्यायवाची नाम हैं। (राज०नि० ८ / १३३ पृ० २५८) प० १/४८/३ -नुले । गौ० - माजुर तृण । (राज निघंटु ८ / १३३ पृ० २५८) विवरण - यह एक जाति की घास होती है, जिसको www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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