SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 23
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन आगम : वनस्पति कोश उत्पत्ति स्थान-भारतवर्ष के अनेक भागों में बहुलता से इसकी खेती की जाती है। मिस्र, अमेरीका तथा संसार के अन्य उष्ण प्रदेशों में भी इसकी खेती की जाती है। विवरण-यह गुल्म जाति की वनस्पति ४ से ५ फीट तक ऊंची होती है। इसके पत्ते हाथ के पंजों के समान कई भागों में विभक्त रहते हैं। प्रायः उसे ७ भाग तक देखने में आते हैं। फल घंटाकार पीले रंग के होते हैं। उनके बीच का हिस्सा बैंगनी रंग का होता है। फल डोडी या गोलाकार होता है तथा उसके भीतर सफेद रुई से लिपटे हुए ५ से ७ बीज होते हैं। बीज किंचित् काले रंग के, चने के समान गोल होते हैं और उनके भीतर सफेद मज्जा होती है। जड़ बाहर से पीले रंग की तथा अंदर से सफेद होती है।जड़ की छाल गंधयुक्त पतली, चिमड़, रेशेदार, धारीदार एवं करीब १ फीट तक लम्बी होती है। छाल का स्वाद कुछ तीता एवं कषाय होता है। प्रतिवर्ष प्राय: चौमासे के आरम्भ में खेतों में बीजों को रोपण करते हैं और फाल्गुन चैत में रुई संग्रह कर पौधे को काटकर खेत साफ कर लेते (भाव०नि० गुडूच्यादिवर्ग पृ० ३७४, ३७५) AJMERRCen पर "पुष्पचक्र पत्र अंजण केसिगा कुसुम अंजणकेसिगा (अञ्जनकेशिका) नलिका गन्धद्रव्य, रतनजोत। रा० २६ जीवा० ३।२७९ अञ्जनकेशिका) नलिका नाम गन्धद्रव्ये उत्तरदेशे अञ्जनकेशी ) प्रसिद्धे (वैद्यक शब्द सिन्धु पृ०१९) विमर्श-प्रस्तुत शब्द अंजण केसिगा कुसुम नीले रंग की उपमा के लिए प्रयुक्त हुआ है। अञ्जनकेशी के पर्यायवाची नाम - नलिका विद्रुमलता, कपोतचरणा नटी। धमन्यञ्जनकेशी च, निर्मध्या सुषिरा नली ॥ नलिका, विद्रमलता, कपोतचरणा, नटी, धमनी. अञ्जनकेशी, निर्मध्या सुषिरा, नली ये संस्कृत नाम नलिका के हैं। (भाव०नि० कर्पूरादिवर्ग पृ० २६६) अन्य भाषाओं में नाम - ___ हि०-रतनजोत। पं०-लालजरी, महारङ्गा, रतनजोत। ने०-नेवार, महारंगी। ले०-Onosma Echioides Linn (ओनोस्मा इचियाइड्स)। उत्पत्ति स्थान-यह हिमालय में काश्मीर से कुमाऊं तक ५ हजार फीट की ऊंचाई से १ हजार फीट तक और बिलोचिस्तान में पैदा होती है। विवरण-यह श्लेष्मान्तकादि कुल की वनस्पति है। इस वनस्पति से एक प्रकार का लाल रंग प्राप्त किया जाता है, जो तेलों में रंग देने के काम में लिया जाता है। (धन्व० वनौ० विशे० भाग ६ पृ. ३५-३६) नलिका जो कि उत्तर देश में प्रसिद्ध सुगन्धिद्रव्य देखने में मूंगे के समान होती है और जो कि कहीं-कहीं यवारी नाम से भी प्रसिद्ध है। नलिका नाम गंध द्रव्य भी संदिग्ध है। कुछ लोग इसे रतनजोत मानते हैं। (भाव०नि० कर्पूरादिवर्गपृ० २६६) अंतरकंद अंतरकंद ( ) रास्ना, रायसन प० १४८६४२ रास्ना।स्त्री। स्वनामख्याततरु औषधौ। केदारदेशे प्रसिद्धे। हि०-वास्ना। ते०-किरम्मि चक्क। अन्तरदामर। : (वैद्यकशब्द सिन्धु पृ० ८९४) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy