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________________ जैन आगम वनस्पति कोश ले०—Putranjivaroxburghii Wall (पुत्रन्जीत रॉक्स वरघाई) Fam. Euphorbiaceae (यूफोर्बिएसी) । उत्पत्ति स्थान- इस देश के गरम प्रान्तों में पाया जाता है। यह जंगली और बागों में भी लगाया हुआ पाया जाता है। विवरण- इसका वृक्ष मध्यमाकार का होता है और बारह मास हराभरा सुहावना दीखाई पड़ता है। शाखायें प्रायः लटकी हुई रहती हैं। छाल कालापन युक्त खाकी रंग की होती है । पत्ते द्विपंक्ति चमकदार प्रासवत् या आयताकार एवं पत्रतट प्रायः लहरदार होता है । पुपुष्प पीताभ तथा स्त्रीपुष्प इरिताभ होते हैं। फल झरबेर के आकार के श्वेताभ तथा स्थायी कुक्षिवृन्त से युक्त होने के कारण नोकीले होते हैं। जिनके लड़के पैदा होते ही मर जाया करते हैं वे लोग इसकी गुठलियों की माला पहनते हैं। (भाव० नि० वटादिवर्ग० पृ०५३१) .... पुरोवग पुरोग ( ओ०६, १० विमर्श - निघंटुओं और शब्दकोशों में पुरोवग शब्द नहीं मिला है। रायपसेणिय वृत्ति ( पृ०१२ ) में उद्धृत पाठ में यह शब्द नहीं है। जीवाजीवाभिगम (३/३८८) में इसके स्थान पर पारावय शब्द है । इसलिए यहां पारावय शब्द ले रहे हैं। पारावय (पारावत) फालसा देखें पारावय शब्द । .... Jain Education International पुलयइ पुलयइ ( भ०२३/१ विमर्श - उपलब्ध निघंटुओं तथा शब्दकोशों में पुलयइ शब्द का अर्थ उपलब्ध नहीं है। भाव प्रकाश निघंटु वटादिवर्ग पृ० ५२६ में कन्नड़ भाषा में पुलई शब्द मिला है जो बबूल का वाचक है 1 D.co पुस्सफल पुस्सफल (पुष्पफल) कुम्हडा, भूरा कुम्हडा, पेठा 193 प०१/४८/४८ पुष्पफल के पर्यायवाची नाम कूष्माण्डं स्यात् पुष्पफलं, पीतपुष्पं बृहत्फलम् कूष्माण्ड, पुष्पफल, पीतपुष्प, बृहत्फल ये सब संस्कृत नाम कूष्मांड के हैं। (भाव० नि० शाकवर्ग पृ०६७६) अन्य भाषाओं में नाम हि० - पेठा, भूरा कुम्हडा, भतुआ, रकसा कोहडा । बं० - कुमडा | म० - कोहला । गु० - भुरुं कोहलुं । क० - दार कोहोला । ता० - पुरानीकै । ते० - गुम्मडि | फा० - पजदाब, पदुव । अ० - महवः । अंo - The Ash gourd (दी अॅश गोर्ड) । ले० - Benincasa cerifera Savi ( बेनिन् कॅसा सेरीफेरा) Fam. Cucurbitaceae (कुकुर बिटेसी) । उत्पत्ति स्थान- पेठा प्रायः सब प्रान्तों में रोपण किया जाता है। विवरण -- ३सकी लता मचान आदि के सहारे खूब फैलती है। पत्ते कद्दू के समान ४ से ६ इंच के घेरे में गोलाकार, कटे किनारे वाले या ५ भाग वाले होते हैं। फूल पीले रंग के आते हैं। फल गोलाई युक्त, किंचित् लम्बे तथा लम्बाई में १ से १.५ फीट के होते हैं। इसकी गुद्दी सफेद रहती है। बीज अनेक, चिपटे एवं किनारेदार होते हैं । (भा०नि०शाकवर्ग० पृ०६८०) .... पूई पूई ( ) पूईशाक, पोई का शाक प०१/३५ विमर्श - पूई शब्द बंगभाषा का है। हिन्दी भाषा में इसे पोई कहते हैं। संस्कृत भाषा में पोतकी आदि शब्द पूई के पर्यायवाची नाम हैं। पोतकी के पर्यायवाची नाम पोतक्युपोदकी सा तु मालवाऽमृतवल्लरी ।। पोतकी, उपोदकी, मालवा तथा अमृतवल्लरी ये सब पोई के संस्कृत नाम हैं । ( भाव०नि० शाकवर्ग पृ०६६५) अन्य भाषाओं में नाम For Private & Personal Use Only हि० - पोय (शाक), पोय का साग, पोई का साग । बं० - पूंई, पूईशाक । म० - मायाल। गु० - पोथी । क०वसले | ते० -- बच्चलि । ता० - बसलक्किरै । अंo - Indian Spinach (इण्डियन स्पाइनॅक) । ले० - Basella rubra linn www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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