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________________ आगम : वनस्पति कोश अइमुत्तकलया मुत्तकलया (अतिमुक्तकलता ) माधवीलता, सन्ती । जीवा० ३/५८४ जं० २/११ प्रतिमुक्तः (क) माधवी लतायाम् । तिन्दुकवृक्षे । प्रतिमुक्तका हरिमन्थे (वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० २४) विमर्श - अतिमुक्त, अतिमुक्तक और अतिमुक्तका ये शब्द एक ही अर्थ के वाचक हैं। प्रस्तुत प्रकरण में पवीलता अर्थ ही ग्रहण किया जा रहा है। राजनिघंटुकार प्रतिमुक्तक से नवमल्लिका अर्थ ग्रहण करता है, वहां सम्बन्तरिनिघंटुकार तथा भावप्रकाश निघंटुकार माधवी लता ग्रहण करते हैं। प्रतिमुक्त के पर्यायवाची नाम - अतिमुक्त: कार्मुकरच, मण्डनो भ्रमरोत्सवः। अविमुक्तो माधवी च, सुवसन्तः पराश्रयः ॥ १४१ ॥ कार्मुक, मण्डन, भ्रमरोत्सव, अविमुक्त, माधवी, सुवसन्त और पराश्रय ये अतिमुक्त के पर्याय हैं। ( धन्व० नि० ५ / १४१) पृ० २६४) अन्य भाषाओं नाम - हि०-माधवी। बं०-माधवी लता । म० - मधुमालती, हलदबेल। गु० - रगतपीती, माधवीलता । ता० अडिगम। ते०माधवतोगे। अ० - Clustered Hiptage ( क्लस्टर्ड हिप्टेज)। ले०- Hiptage madablota gaertn (हिप्टेज मेडेब्लोटा ) । Fam. Malpighiaceae (मॅल्पिघिएसी) । 94. Hiptage madablota Gaertn. (মাধবীলতা) Jain Education International उत्पत्ति स्थान- यह दक्षिण, सिवालिक, कुमाऊं, पूर्वी बंगाल, आसाम, नेपाल तथा अंडमान में होती है एवं बागों में भी यह लगाई जाती है। विवरण- इसकी लता बहुत विस्तार में फैलने वाली होती है और निकटवर्ती वृक्ष पर चढ़कर उसको ढक देती है। इसका स्तम्भ मजबूत होता है और शाखाएं मोटी होती हैं। पत्ते अण्डाकार लट्वाकार- आयताकार या आयताकार प्रासवत्, लम्बा, अभिमुख, चिकने, चमकीले एवं ४ से ७ इंच लम्बे तथा २.५ इंच चौड़े होते हैं। पुष्प आकर्षक श्वेत तथा सुगंधित रहते हैं। आभ्यन्तरदल झालरदार रहते हैं। जिनमें से एक दल पीला रहता है। प्रत्येक स्त्रीकेशर में एक बड़ा और दो छोटे पक्ष होते हैं। इसकी छाल तथा पत्तों का उपयोग किया जाता (भाव० नि० पुष्पवर्ग पृ० ४९७) है। 1 अइमुत्तय लया अइमुत्तय लया ( अतिमुक्तकलता ) माधवी लता ओ० ११ देखें अइमुत्तकला शब्द | अंकोल्ल अंकोल्ल (अङ्कोल) अंकोल, ढेरा भग० २२/२ जीवा० ११७१ प० १।३५।१ अङ्कोल के पर्यायवाची नाम - अङ्कोटो दीर्घकीलः स्यादङ्कोलरच निकोचकः ॥ अकोट, दीर्घकील, अङ्कोल और निकोचक ये सब अंकोल के पर्यायवाची नाम हैं। (भाव० नि० गुडूच्यादिवर्ग पृ० ३६५ ) अन्य भाषाओं में नाम - For Private & Personal Use Only हि० - अंकोल, ढेरा, टेरा, ढेला। बं०-आंकोड, बाघ, आंकडा, अकरकंटा। म० अंकोल । गु० - आंकोल, अंकोल । क० - अंकोलेमर । ते० - कुड़गु, अंकोलम्। ता० - अलंगी । सन्ता० - ढेला, डेला । ले० - Alangium Lamarckii thwaites (एलॅन्जिअम् लेमार्काइ ध्वंट्स ) Fam Alangiaceae (एलेन्जियेसी) । www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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