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________________ 172 जैन आगम : वनस्पति कोश ... पउम पउम (पद्म) थोड़ा सफेद कमल पउमलया ____उवा० १/२६ जीवा० ३/२६१ प० १/४६ पउमलया (पद्मालया) लवङ्गलता ईच्छ्वे तं विदुः पद्मम् ।।१३८ // ओ० ११ जीवा० ३/५८४ जं० २/११ क्षुद्रोत्पल के तीन भेद हैं-(१) ईषत् श्वेत पद्म। पद्मालया स्त्री। लवङ्गलतायाम् (अमरकोष) (धन्व०नि० ४/१३८ पृ० २१८) विमर्श-पउमलया शब्द की पद्मलता छाया विमर्श-सभी निघंटुओं में पद्म को कमल माना करके एक अर्थ पद्मिनी किया गया है। दूसरा अर्थ है। धन्वन्तरि निघंटुकार उसे (पद्म को) थोड़ा सफेद पद्मालया छाया करके लवंगलता किया जा रहा है। कमल मानते हैं। धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग २ पृ० (वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० ६३७) १३६ में पदम को मनोहर कहा गया है। पउमलता पउमा पउमलता (पदलता) पद्मिनी प० १/३६/१ पउमा (पद्मा) स्थल कमल, पद्मचारिणी पद्मिनी।स्त्री। पद्मलता। भ० २३/६ प० १/४८/४ (शालिग्रामौषधशब्दसागर पृ० १०३) पदमा के पर्यायवाची नामविमर्श-पदिमनी को गौरखी भाषा में पदम लता पदमचारिण्यतिचराव्यथा पदमा च शारदा। कहते हैं। पद्मचारिणी,अतिचरा,अव्यथा, पदमा और शारदा पद्मिनी के पर्यायवाची नाम ये स्थलकमल के नाम हैं। (भाव०नि० पुष्पवर्ग पृ० ४८२) पलाशिनी पुटकिनी पद्मिनी नलिनी मता।।१४३८ // अन्य भाषाओं में नामविसनाभिः पदमवती, बिसिनी नलिकामयी। हि०-गुलिया जैब। बं०-थल पद्म। ले०पलाशिनी, पुटकिनी, पद्मिनी, नलिनी, Hibiscus Mutabilis Linn (हिबिस्कस् म्यूटेबिलिस्)। विषनाभि, पद्मवती, बिसिनी, नलिकामयी ये पद्मिनी उत्पत्ति स्थान-यह बागों में लगाया जाता है। के पर्याय हैं। (कैयदेव०नि० औषधि वर्ग० पृ० २६७) इसका आदि स्थान चीन है। पदिमनी नलिनी प्रोक्ता. कुटपिन्यब्जिनी तथा विवरण-इसका वक्ष छोटा तथा कांटे विहीन होता इत्थं तत्पद्मपर्यायनाम्नी ज्ञेया प्रयोगतः।।१८५।। है। शाखाएं मृदुरोमश होती है। पत्ते हृदयाकार, दन्तुर, पद्मिनी, नलिनी, कूटपिनी तथा अब्जिनी ये सब ४ इंच व्यास में तथा ३ इंच लंबे, दंड से युक्त होते हैं। पद्मिनी के नाम हैं। (राज०नि० १०/१८५ पृ० ३३४) पुष्प ३ से ४ इंच व्यास में आते हैं, जो प्रातः खिलने पर अन्य भाषाओं में नाम-- श्वेत या गुलाबी रंग के तथा शाम तक गहरे लाल रंग म०-पद्मिनी। का०-ताम्बरेवभेद। गौ०- के हो जाते हैं। फल गोल, चिपटे तथा रोमश होते हैं। पद्मलता। बीज वृक्षाकार एवं खरखरे होते हैं। (भाव०नि० पृ० ४८३) पउमलया पउमलया (पद्मलता) पद्मिनी। __ओ० ११ जीवा० ३/५८४ जं २/११ देखें पउमलता शब्द।। पउय पउय (पटुक) वच भ० २३/६ पटु (कः) ।पुं। पटोललतायाम्, कारवेल्ल्यां , चीन कर्पूरे, चोरकनामगंधद्रव्ये, पटोलपत्रे, वचायाम्, छिक्किन्यां Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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