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________________ जैन आगम : वनस्पति कोश 163 नाम है-दधित्थ। उसका अर्थ है दही जैसे गूदेवाला। दाडिम, दाडिमीसार, कुट्टिम, फलषाडव, स्वादम्ल, इससे लगता है दहिवण्ण शब्द कैथ अर्थ का ही वाचक रक्तबीज, करक, शुकवल्लभ ये दाडिम के पर्याय हैं। है। प्रस्तुत प्रकरण में 'दहिवण्ण' शब्द बहुबीजक वर्ग के (धन्चः नि०२/६१ पृ० १२२) अन्तर्गत है। कैथ में अनेक बीज होते हैं। इससे स्पष्ट अन्य भाषाओं में नामहोता है कि दहिवण्ण शब्द कैथ वनस्पति का ही वाचक है। हिO-अनार, दाडिम । बं०-दाडिम, डालिमगाछ। कैथ के संस्कृत नाम मं०-डालिम्ब। गु०-दाड़ म । क०-दालिम्ब । कपित्थस्तु दधित्थः स्यात्, तथा पुष्पफलः स्मृतः। ते०-दालिम्बकाया। ता०-मादलै, मडलै, मडतम । कपिप्रियो दधिफल स्तथा, दन्तशठोपि च ।।६० ।। अंo-Pomegranate (पोमेग्रेनेट)। ले०-Punicagranatum कपित्थ, दधित्थ, पुष्पफल, कपिप्रिय, दधिफल Linn (प्युनिका ग्रॅनेटम्) | Fam. Punicaceae (प्युनिकेसी)। तथा दन्तशठ ये सब कपित्थ के संस्कृत नाम हैं। उत्पत्ति स्थान-प्रायः सब प्रान्त की वाटिकाओं में (भाव०नि०आम्रादिफल वर्ग पृ० ५६५) अनार के वृक्ष लगाये जाते हैं। यह हिमालय में ३ से ६ कपित्थ (बन्दरों को प्रिय) दधित्थ (दही जैसा गूदे हजार फीट तक तथा अफगानिस्तान एवं फारस में वाला) वन्यरूप में पाया जाता है। (धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग २ पृ० ३१७) विवरण-इसका वृक्ष छोटा अनेक शाखा-प्रशाखा देखें कविट्ठ शब्द। करके झाड़दार होता है। पत्ते विपरीत या न्यूनाधिक विपरीत या समूहबद्ध, अत्यन्त सूक्ष्म, पारभाषक छीटों से दाडिम युक्त, १ से २.५ इंच लंबे, आयताकार या अभिलट्वाकार, दाडिम (दाडिम) अनार। चिकने एवं आधार की तरफ छोटे वृन्त से युक्त रहते हैं। भ० २२/३ ओ० ६ जीवा० १/७२ प० १/३६/१ फूल अत्यन्त लाल रंग के होते हैं। फल गोल और छिलका मोटा होता है। फलों में सफेदी युक्त लाल अथवा गुलाबी रंग के अगणित नोकदार दाने होते हैं। सूखने पर यह अनारदाना कहलाता है। इसके संपूर्ण फल जड़ या कांड की छाल, फल की छाल एवं स्वरस आदि का उपयोग किया जाता है। (भाव० नि० आम्रादिफल वर्ग० पृ० ५८२. ५८३) दासि दासि (दासी) नील कटसरैया भ० २२/४ प० १/३७/५ दासी के पर्यायवाची नाम नीलपुष्पा तु सा दासी, नीलाम्लानस्तु छादनः । बाला चार्तगला चैव, नीलपुष्पा च षड्विधा१३४ ।। नीलपुष्पा, दासी, नीलाम्लान, छादन, बाला तथा आर्तगला ये सब नीलपुष्पा कटसरैया के नाम हैं। (राज०नि० १०/१३४ पृ० ३२४) अन्य भाषाओं में नाम म०-काला कोरण्ट । क०-करिये गोरटे । गौ०-नीलझांटी। हि०-काली कटसरैया या पियाबांसा। THSP दाडिम (Punicagranatum) दाडिम के पर्यायवाची नाम दाडिमो दाडिमीसारः, कुट्टिमः फलषाडवः। स्वादम्लो रक्तबीजश्व, करक: शुकवल्लभः ।।६१।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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