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________________ जैन आगम वनस्पति कोश जा रहा है। प्रस्तुत प्रकरण (प्रज्ञापना) में तिमिर शब्द पर्वक वर्ग के अन्तर्गत है । इसलिए जल में होनेवाला महुआ अर्थ लिया गया है। मधूक के पर्यायवाची नाम मधूकोऽन्यो मधूलः स्याज्जलजो दीर्घपत्रकः । । ४५६ ।। गौरशाखी नीरवृक्षों, मधुवृक्षो मधुस्रवः । वानप्रस्थो मधुष्ठीलो, हस्वपुष्पफलः स्मृतः ।।४५७ ।। जो महुआ जल में रहता है उसे मधूलक, जलज, दीर्घपत्रक, गौरशाखी, नीरवृक्ष, मधुवृक्ष, मधुस्रव, वानप्रस्थ, मधुष्ठील, हस्वपुष्पफल कहते हैं। (कैयदेव०नि० ओषधिवर्ग० पृ०८४) अन्य भाषाओं में नाम हि० - महुआ, महुवा । बं० - महुल, मौआ । ता०मधुकम | ते० - इप्प, पिन्ना, इपा | गु० - महुडी | म० - मोहडा । बनारस० - कोइन्दा। राज० - डोलमा । क० - महुइप्पे | फा०-चकां | अं०-Eiloopatree (इलूपाट्री ) | ले० - Bassia latifolia Roxb (वेसिया लाटिफोलिया) । उत्पत्ति स्थान - मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल से पश्चिम घाट तक राजस्थान, बिहार, गुजरात, दक्षिण आदि अनेक प्रदेशों में पाया जाता है। विवरण - यह फलवर्ग और मधुकादि कुल का महुआ का वृक्ष भारतवर्ष भर में प्रसिद्ध है । कोई-कोई किसान अपने खेतों के आसपास या बीच में खलियानों में या सड़कों के किनारे-किनारे लगाते हैं। बाकायदे वृक्ष के तने की जड़ों में चारों तरफ गड्डा खोदकर पानी दिया जाता है। इस प्रकार सिंचित महुआ के पुष्प फल आदि एवं पत्ते बड़े-बड़े होते हैं। महुआ के पुष्प पीली झाई लिए हुये श्वेत वर्ण के रसदार, ठोस और बीच में खोखलापन लिये होते हैं। इस खोखले भाग में जीरे के समान छोटे-छोटे पुष्प पराग होते हैं। इन पुष्पों से मीठी-मीठी भीनी-भीनी सी गंध आती रहती है। खूब रसदार होने पर पुष्प नीचे गिर जाते हैं। कृषक बालायें इन पुष्पों को एक टोकरी में एकत्र करती हैं और खलियान या आंगन में सुखाती हैं। सूखने पर ये लाल वर्ण के मुनक्का के समान हो जाते हैं। गरीब ग्रामीण जनता अपने कुदिनों में इन महुआ के पुष्पों से Jain Education International ही जीवन रक्षा कर लेती है। (धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग ५ पृ०३६१,३६२) 151 C... तिल तिल (तिल) तिल ठा० ५/२०६ भ० ६/१३०, २१/१५ प० १/४५/१ तिल के पर्यायवाची नाम तिलस्तु होमधान्यं स्यात्, पवित्रः पितृतर्पणः ।। पापघ्नः पूतधान्यञ्च, जर्तिलस्तु वनोद्भवः । ।१०६ || तिल, होमधान्य, पवित्र, पितृतर्पण, पापघ्न, पूतधान्य ये तिल के पर्याय हैं। वन में होने वाले को जर्तिल कहते हैं । For Private & Personal Use Only (धन्व० नि० ६ / १०६ पृ० २६८) 287 अन्य भाषाओं में नाम हि० - तिल, तील, तिली । बं० - तिलगाछ, म० - तील । गु० - तल । क० - बुल्लेल्लु । ते० - नुब्बुलु । ता० - एल्लु । फा० - कुंजद । अ० - सिमासिम, बजरूलखस, खासुलवरी अंo - Gingelli ( जिंजेल्ली) Sesame (सीसेम) । ले० - sesamum indicum Lin (सिसेमम् इंडिकम् ) Fam. Pedaliaceae (पेडालिएसी) । उत्पत्ति स्थान- इसकी प्रायः सभी प्रान्तों में खेती की जाती है। www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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