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________________ जैन आगम : वनस्पति कोश 115 अन्तर्गत है इसलिए इसकी पहचान बेलवाची नाम से की भ० २२/२ जीवा० १/७१ प० १/३५/१ गई है। इसे बंगभाषामें और मारवाडी भाषा में घोडबेल जंबू सुरभिपत्रा च, राजजम्बूर्महाफला। गुर्जरभाषा में खाखर बेल, कहते हैं। सुरभी स्यान्महाजम्बू महास्कन्धा प्रकीर्तिता ।।७६ ।। क्षीर विदारी के पर्यायवाची नाम सुरभिपत्रा, राजजम्बू, महाफला, सुरभि, महाजम्बू क्षीर विदारी के पर्यायवाची नाम क्षीर विदारिका के और महास्कन्धा ये जम्बू के पर्याय हैं। हैं वे ही हैं। देखें छीर विरालिया शब्द। (धन्व०नि०५/७६ पृ० २४२) अन्य भाषाओं में नाम अन्य भाषाओं में नामहि०-बिलाईकंद, बिदाईकंद, भुइकुम्हडा, सुराल, हि०-बड़ी जामुन, फरेन्द्र, फडेना, फलेन्द्रा, राज पाताल कोहडा। म०-बेंदर, घोडबेल। गु०-खाखर जामुन बं०-बडजाम, कालजाम। म०-जाम्भूल । बेल, फगियो, फगडानो वेली, विदारी। ते०-दारी, गु०-जाम्बून । क०-दोड्डनिरलु, दोदुनिरली। ते०नेल्लगुम्मुडु। मा०-गोरवेल । ले०-Pueraria tuberosa पेद्देनेरडि, नेरढुंचे?। ताo-नागै, सम्बल अं०Dc (प्युरेरिआ ट्यूबरोजा डीसी)। Jambul Tree (जाम्बुल ट्री)। लेo-Eugenia Jambolana ___ उत्पत्ति स्थान-यह कोकण के पहाड़ों पर दक्षिण, Lam (युजेनिमा जम्बोलेना) Fam. Myrtaceae (मिर्टेसी) कनारा, पश्चिम हिमालय, शिमला, कुमाऊ, नेपाल, (भाव०नि०पृ० ५७०) विन्ध्याचल, उड़ीसा और छोटा नागरपुर में उत्पन्न होता है। बिहार में भी कहीं कहीं पाया जाता है। यह नदी नालों के करारों में अधिक पाया जाता है। विवरण--यह अत्यन्त विस्तार में फैलने वाली लता जाति की वनस्पति अचिरस्थायी होती है। इसका कांड पोला सा होता है। छाल भूरे रंग की आध इंच तक मोटी होती है। लकड़ी छिद्रयुक्त कोमल होती है। पत्ते पलाश के समान पक्षाकार त्रिपत्रक होते हैं। पत्रक ४ से ६ इंच लंबे ३ से ४ इंच चौड़े अग्यपत्रक तिर्यगायताकार और पार्श्वपत्रक तिरछे लट्वाकार तथा अधरतल पर श्वेत तलशायी रेशमतुल्य सघन रोओं से युक्त होते हैं। पुष्प ६ से १८ इंच, लंबी मंजरियों में आते हैं। पुष्प नीले या नीलरक्त रंग के सुंदर दिखलाई देते हैं। फलियां २ से ३ इंच तक लंबी, चिपटी बीजों के बीच दबी हुई और खाकी रंग के रोवों से भरी रहती है। प्रत्येक फली में २ से ६ तक बीज रहते हैं। प्रायः पत्तों के गिरने पर नवीन पत्तों के निकलने के प्रथम ही फूल आते हैं। ये लताएं उत्पत्ति स्थान-यह अत्यन्त शुष्क भागों को छोडकर घोड़ों को बहुत प्रिय होती है जिससे इन्हें गजवाजिप्रया' सब प्रान्तों में पायी जाती है | घोड़बेल कहा गया है। (भाव०नि० ३८८, ३८६) विवरण-फलादिवर्ग एवं लवंग कुल का इसका सदैव हरा-भरा बड़ा वृक्ष होता है। पत्र ३ से ६ इंच लंबे, जंबू २ से ३ इंच चौड़े, आम्रपत्र या पीपल के पत्र जैसे चिकने जंबू (जम्बू) जामुन चमकदार, पुष्प वसंतऋतु में, हरिताभ श्वेत या स्वर्णवर्ण फलकाट Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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