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________________ जैन आगम वनस्पति कोश विमर्श - मेदिनी में चिकुर शब्द मिलता है। वह वर्तमान में हमारे पास उपलब्ध नहीं है। निघंटुओं में इसके पर्यायवाची नाम नहीं मिलते। संभव है पर्यायवाची नाम अधिक नहीं है। अन्य भाषाओं में नाम हि० - चिउरा, फलवारा, फुलेल बेडली । अं०Phulwara Butter (फुलवारा बटर) Indian butter tree (इन्डियन बटर ट्री) । ले० - Bassia Butyracea (वेसिया व्यूटी रेसिया ) । उत्पत्ति स्थान- इसके वृक्ष हिमालय के दक्षिण भागों में कुमाऊं से भूटान तक अधिक पाए जाते हैं । विवरण - मधूक कुल के इसके वृक्ष ऊंचे मध्यम श्रेणी के होते हैं। छाल कृष्णाभश्वेत या कुछ लाल वर्ण युक्त गहरे बादामीरंग की, पत्र शाखा पर दल बद्ध ६ से १२ इंच लंबे, ४ से ५ इंच चौड़े, अंडाकार, ऊपर से हरे, चमकीले, नीचे की ओर रोमश । फूल श्वेत वर्ण के, फल अंडाकार, हरे चमकीले, चिकने १ इंच लंबे मीठे होते हैं। ये फल खाए जाते हैं। बीज प्रत्येक फल में १ से ३ तक होते हैं जिनमें मक्खन जैसा गाढ़ा तैल होता है । (धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग ३ पृ०७६, ८०) चुच्चु चुच्चु (चुञ्चु ) चंचुशाक चेबुना शाक । प० १/३७/२ चुञ्चु के पर्यायवाची नाम चुञ्चुश्व विजला चञ्चुः, कलभी वीरपत्रिका ।। चुञ्चुरचुञ्चुपत्रश्च, सुशाकः क्षेत्रसंभवः । ।१४४ ।। चुञ्चु विजला, चञ्चु कलभी, वीरपत्रिका, चुञ्चुर, चुञ्चुपत्र, सुशाक तथा क्षेत्रसंभव ये सब चञ्चु के नाम हैं। ( राज० नि०व० ४ / १४४ पृ० ६०) अन्य भाषाओं में नाम म० हि० - चंचुशाक, चोंच, माफली । बं० - बिलनबिता ० - हरणखुरी, मगरमिठी । गु० - उभी बहुफली, छंछडी । o-Corchorus Fascicularis Lam (कोर्कोरस् फ्सीक्यूलेरिस ) Fam. Tiliaceae (टिलिएसी) । उत्पत्ति स्थान - यह गरम प्रान्तों में अधिक उत्पन्न्न Jain Education International होता है। विवरण- इसका क्षुप एक फुट ऊंचा, प्रसरण शील एवं वर्षायु होता है। पत्ते १ से २ इंच लम्बे, पाव से आधा इंच चौड़े, एकान्तर, आयताकार भालाकार तथा दन्तुर होते हैं। फल पीले रंग के २ से ५, एक वृन्त पर पत्तों के सामने आते हैं। फलियां मृदुरोमश, करीब १/२ इंच लम्बी, ३ से ४ एक साथ एवं प्रत्येक ३ से ४ कोष्ठयुक्त होती है। बीज अनेक, काले एवं कोनयुक्त होते हैं। (भा०नि० शाकवर्ग पृ० ६७३ ) .... 109 चूतलता चूतलता (चूतलता) आमगुल जीवा० ३ / ५८४ जं २/११ प० १/३६/१ विमर्श - निघंटुओं में आम की लता के रूप में वर्णन नहीं मिलता। आमगुल लता है। आम के साथ होने से संभव है यही आमलता हो । अन्य भाषाओं में नाम हि० -- आमगुल घिवेन । म० - नरकी, नागरी । बं- गुअरा । ले० - Elaeagnus Lotifolia (इलेगिनस लोटिफोलिया) । उत्पत्ति स्थान - भारतवर्ष के दक्षिण में, सीलोन के पहाड़ी भागों में तथा चीन और मलायाद्वीप समूह में प्रचुरता से पाई जाती है । विवरण - इसकी झाड़ीदार बेल में बहुत-सी शाखाएं फूटती हैं, जो प्रायः ऊंचे वृक्षों पर चढ़ जाती हैं। छाल चिकनी या फिसलनी, पत्ते कुछ वर्धी के आकार के या तरबूजे के पत्ते जैसे होते हैं। पत्ते श्वेत छोटे-छोटे राओं से आच्छादित रहते हैं। फूल श्वेत वर्ण के बड़े-बड़े गुच्छों में लगते हैं। फल कर्णफूल जैसे या छोटी लालमिर्च जैसे लाल या हलके गुलाबी रंग के धारी धार होते हैं। औषधि कार्य में इसका फल, फूल और कंद लिया जाता है । (धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग १ पृ० ३५८) DOO चूतलता चूतलता (चूतलता) चूत की लता For Private & Personal Use Only जीवा० ३ / ५८४ जं० २ / ११५० १/३६/१ www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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