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________________ लेश्या-कोश खाने-पीने, पहनने, ओढने, चलने-फिरने, भोगोपयोग करने, आनापान करने के लिए भी इसका सहयोग लेना पड़ता है। पुद्गल की बैशाखी के रूप में एक कदम भी संसारी जीव का कार्य नहीं चल सकता । आज पश्चिमी देशों में जितना भी भौतिक विकास एवं रासायनिक विकास किया है उसका साराश्रेय जैनागमों में वर्णित पुद्गल परिणामों की विविध परिणति व प्रक्रिया से अवबोध को है। अणुबम, परमाणु बम व परमाणु हथियारों की सर्जना भी आगमों में कथित पुद्गल स्कंधों की रासायनिक प्रक्रिया को समझने से ही सम्भव हो सकी है। टेलीकास्ट, इन्टरनेट आदि के पीछे पुद्गल की विविध गुणवत्ता ही है । लगता है पुद्गलकोश के सम्पादक ने दिगम्बर तथा श्वेताम्बर सम्प्रदायों के आगमों, ग्रन्थों, टीकाओं, चूणियों का भी अपनी सूक्ष्म मनीषा से अवगाहन कर आवृत्त रहस्यों को अनावृत्त करने का प्रयत्न किया है। इतना ही नहीं, जनेतर दर्शनों मनोविज्ञान न्याय प्रमाण आदि के आधार तथ्यों को सामने लाने का सार्थक प्रयास किया है। गम्भीर व तलस्पर्शी अध्ययन के अभाव में कोई भी व्यक्ति समाज विज्ञान, भाषा विज्ञान, गणित, खगोल, भूगर्भ विज्ञान, पूरा जीव विज्ञान, पशु विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान, कृषि विज्ञान, गृह विज्ञान आदि के बारे में इतनी सटीक सामग्री प्रस्तुत नहीं कर सकता। लेखक का कला, साहित्य, कीड़ा, इतिहास आदि सभी क्षेत्रों का स्पर्शन केवल अनुशंसनीय अपितु अनुकरणीय भी है। ___इस प्रौढ अवस्था में जिस अनुभव प्रसन्नता, प्रवीणता, प्रपौढता के साथ पुद्गल कोश का सृजन किया है वह साधुवादाह है । भविष्य में वे अपनी सतत श्रमशीलता और ज्यादा गहराई से शोधकर्ताओं को अपनी रचना-धर्मिता से लाभान्वित कर स्वयं व धर्म संघ का गौरव बढाते रहे यही शुभाशंसा है। -साध्वी जतनकुमारी 'कनिष्ठा' श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा भवन, कलकत्ता १३ अक्टूबर, २००० जैन शास्त्रों में उपलब्ध पुद्गल आदि मौलिक सम्बन्धी विवरण तुलनात्मक अध्ययन के लिए बहुत आवश्यक है। पुद्गल कोशों में एकत्रित समन्न समग्नीतम जैसे लोगों के लिए अत्यन्त उपयोगी है। जैन-अजैन शोधकों के लिए यह आधार भूत संदर्भ ग्रन्थ है। ऐसे उपयोगी प्रकाशनों के लिए समिति बधाई की पात्र हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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