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________________ लेश्या-कोश प्रारम्भ में डा. ज्योतिप्रसाद जैन का ६ पृष्ठीय आमुख है। पुस्तक पठनीय एवं संग्रहणीय हैं। विद्वान लेखक एवं प्रकाशक धन्यवादाह हैं। -श्री जैन सिद्धांत भास्कर आरा, जुलाई १९७८ मैंने पुस्तक को सरसरी नजर से आद्योपांत देखी। पुस्तक बहुत सुन्दर एवं ज्ञानवर्द्धक तथा पठनीय है। पुस्तक में जगह-जगह श्रीमद् आचार्य भिक्षु तथा श्रीमद् जयाचार्य की कृतियों के सन्दर्भ बहुत ही सुन्दर दिए हैं। अनुमानतः लेखक ने इस ग्रन्थ को लिखने के लिए अनेकानेक ग्रन्थों का अवलोकन किया है। टीका-भाष्यों के सुन्दर संदर्भो से पुस्तक अतीव आकर्षक बनी है। लेखक का ज्ञानवर्धक प्रयास प्रशंसनीय है। -मुनि जशकरण, सुजानगढ़ जैन भारती १९८१ 'मिथ्यात्वी का आध्यात्मिक विकास' यह पुस्तक अनेक विशिष्टताओं से युक्त हैं। एक मिथ्यात्वी भी सद् अनुष्ठानिक क्रिया से अपना आध्यात्मिक विकास कर सकता है। साम्प्रदायिक मतभेदों की बातें या तो आई ही नहीं है अथवा भिन्न-भिन्न दृष्टि कोणों का समभाव से उल्लेख कर दिया गया है। श्री चोरडियाजी ने विषय की प्रतिपादन बहुत ही सुन्दर और तलस्पर्शी ढंग से किया है। विद्वज्जन इसका मूल्यांकन करे। निःसंदेह दार्शनिक जगत के लिए चोरड़ियाजी की यह एक अप्रतिम देन है। सचमुच श्री चोरड़ियाजी एक नवोदित और तरुण जैन विद्वान है जिनकी अभिरुचि इस दिशा में श्लाध्य है। Glory of India (हिन्दी अनुवाद) मार्च १६८० श्री चोरड़ियाजी ने इसमें जैनागम और उनकी टीकाओं में से षटखण्डागम और उसकी टीका तथा कर्म ग्रन्थों में से मिथ्यात्वी जीव भी आत्मविकास कर सकता है इस बात को अनेक अवतरण देकर सिद्ध किया है। विशेषता यह है कि आगमों में जितने भी अवतरण इस विषय में उपलब्ध थे उनका संग्रह किया है इतना ही नहीं आधनिक काल के ग्रन्थों के भी अवतरण देकर ग्रन्थ को संशोधकों के लिए अत्यन्त उपादेय बनाया है इसमें सन्देह नहीं है। किन्तु अवतरण देने में विवेक रखना जरूरी है। जो बात प्राचीन अवतरणों से सिद्ध है उसके लिए आधनिक अवतरण जरूरी नहीं है। एक ही बात खटकती है कि मल प्राकृतसंस्कृत अवतरणों को कहीं-कहीं विशुद्धरूप में नहीं छापा गया। थोड़ी सी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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