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________________ ५४८ लेश्या-कोश मनन करने वालों के लिए सरल और बिल्कुल सही साबित हुआ है और होता रहेगा। इसमें प्रसंग क्रमशः है परन्तु ऐसा होते हुए भी अलग-अलग है। -मानकमल लोढ़ा दीनापुर ( नागालैंड) ३ माचे १९८७ प्रस्तुत समीक्ष्य ग्रन्थ 'वर्धमान जीवन कोश' का द्वितीय खण्ड अपने आप में अनूठा और अद्वितीय है। महावीर-जीवन सम्बन्धी सन्दर्भ ग्रन्थ में सम्पादक द्वय का भगीरथ प्रयत्न और गम्भीर अध्ययन प्रतिबिम्बित हो रहा है। आगमों में यत्र-तत्र बिखरी सामग्नी को एकत्र कर इस तरीके से सजाया है कि शोध विद्यार्थियों के लिए बड़ी सुगमता कर दी है। प्रस्तुत ग्रन्थ के संकलन-सपादन में शताधिक ग्रन्थों का उपयोग सम्पादक की 'एगग्गा चित्तोभविस्सामिति' एकाग्न चित्तता का अबबोधक है। आगम-सिन्धु का अवगाहन अनमोल मोतियों के प्रस्तुतीकरण का यह प्रयास सचमुच महनीय और प्रशस्य है। -साध्वीश्री यशोधरा २६ अगस्त १९८७ वर्धमान जीवन कोश ( द्वितीय खण्ड ) में भगवान महावीर के जीवन से सम्बन्धित अनेक भावों की विचित्र एवं महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह कार्य अति उत्तम एवं प्रशंसनीय है। इसके लेखक मोहनलालजी बांठिया तथा श्रीचन्दजी चोरड़िया के श्रम का ही सुफल है। यह ग्रन्थ इतना सुन्दर एवं सुरम्य बन सका है। शोधकर्ताओं के लिए यह ग्रन्थ काफी उपयोगी होगा-ऐसा विश्वास है। रिसर्च करने वालों को भगवान वर्धमान के सम्बन्ध में सारी सामग्नी इस ग्रन्थ में उपलब्ध हो सकेगी। __-मुनि श्री जसकरण सुजान, बोरावड़ ( सुजानगढ़ वाले ) ६ मई १९८७ श्रीचन्दजी चोरड़िया का 'वर्धमान-जीवन-कोश द्वितीय खण्ड' समाप्त हुआ । ग्रन्थ प्रेषण हेतु आभार ज्ञापन । भगवान महावीर पर सम्प्रति-पर्यन्त बहुविध स्तरीय कार्य हुए हैं, किन्तु यह ग्रन्थ अपने आप में अभूतपूर्व है। शोध-स्नातकों के लिए तो यह नन्थ सारस्वत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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